केशी गुप्ता
(दिल्ली)
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कुदरत बेहद ही खुबसुरत है , मगर उसकी खुबसूरती को बनाए रखना मानव पर निर्भर करता है . जम्मू उधमपुर शहर हमारे भारत का हिस्सा है . पहाड़ों की नगरी . जम्मू का नाम सदैव कश्मीर घाटी से जोड़ा जाता है , जिसे कभी धरती का स्वर्ग माना जाता था मगर बटवारे के बाद से राजनैतिक लिए गए फैसलों ने कश्मीर मुद्दे को कभी खत्म होने नही दिया .देखते देखते धरती का स्वर्ग उजड़ता चला गया . हर वक्त खौफ के साय में ऱहती आवाम की हालात किसी से छूपी नही है , जिसका असर जम्मू , उधमपुर में देखने को भी मिलता है . हर गली चौहारे पे फौजी दिखाई देते है.
अभी हाल ही में भांजे की शादि में उधमपुर जाना हुआ क्योंकि हमारे पूर्वज कौटली , मीरपूर से है तो हमारी बिरादरी के बहुत से लोग जम्मू , उधमपुर शहर में बसते है . दिल्ली से जम्मू हम अपनी कार में ही गए . हाई वे का रास्ता अच्छा है , किसी तरह की कोई परेशानी नही . जलंधर के पास कुछ रास्ता ठीक नही वंहा शायद कुछ काम चल रहा है .रास्ते में हमने मनसर लेक देखी .जो मनमोहक है .लेक में बड़ी बड़ी मछलियाँ तथा कछुए देखने को मिलते है . बोटिंग की भी व्यवस्था है. इसका धार्मिक महत्व भी है . यहां नाग देवता का मंदिर भी है .जम्मू उधमपुर में परिवार के लोगो से मिलकर हंसते खेलते समय व्यतीत हुआ मगर शहर में फैली गंदगी से मन बेहद विचलित हुआ . सड़को पर जगह जगह कुड़े कचरे के ढेर देखने को मिलते है. नालियाँ खोली हुई है , सड़क पर पैदल चलते बदबू महसूस होती है . सड़को की हालत भी खस्ता है . उधमपुर छोटा सा शहर है मगर वहां की नगर पालिका बिल्कुल फेल नजर आती है.यही हाल जम्मू शहर का है . सड़को पर कंही कोई कूड़ेदान नजर नही आता. हरियाल भी कुछ खास देखने को नही मिलती , जो है वह मिट्टी में सनी हुई . पेड़ पौधो का सांस लेना भी मुशकिल हो जहां वहां इंसान कैसी सांस ले रहे हैं? सड़को की बुरी हालात की वजह से यातायात की भी समस्या है. पहाड़ो पर प्रदूषण का होना चिंता का विषय है .
जिस होटल में हमें ठहराया गया था , वहां के लोगो से बात करने पर जब मैनें पूछा की यहां की सरकार , नगर पालिका उनके लिए काम नही करती , तो उनका कहना था कि मैडम इनका सारा ध्यान कश्मीर पर ही रहता है . मैनें उनसे कहा की यहां के लोग आवाज क्यों नही उठाते , तो वो बोले मैडम इन्हे जो मिल रहा है , ये उसी में खुश है . मैं समझ नही पा रही की क्या देश की आवाम इतनी लाचार है की एक अच्छी जिंदगी जीने का हक नही.
बहुत से लोगो को कहना ये भी है कि लोग यहां ज्यादा पढ़े लिखे और जागरूक नही है . सरकार की तरफ से व्यवस्था है मगर लोग नियमों का पालन नही करते . ये सही है कि किसी भी क्षेत्र की सरकार तभी कामयाब होती है जब जनता जागरूक हो और अपनी जिम्मेवारी के समझे . मगर दूसरी और अच्छी व्यवस्था और कानून को लागू करना पूर्णता किसी भी क्षेत्र की कार्यकारिणी पर ही निर्भर करता है . क्या अच्छा हो कि जब सरकार और आवाम अपनी अपनी जिम्मेवारी को समझ तालमेल बना कर चले . कश्मीर का मुद्दा एक बड़ा मसला है मगर जो है उसे संभालना हमारा दायित्व है . उधमपुर से हम लोग पटनीटाप भी घुमने गए वहां हम रेलवे गेस्ट हाउस में कुछ देर ठहरे , जिसे देख कर मैं दंग रह गई , एकदम साफ सुथरा और व्यवस्थित . सरकारी गेस्ट हाउस में मैं पहली दफा गई , इससे पहले मुझे लगता था कि सरकारी गेस्ट हाउस की हालत सरकारी कार्यलयों जैसी अव्यवस्थित होगी. मुद्दा ये है की जब सरकारी गेस्ट हाउस व्यवस्थित और साफ रखे जा सकते है तो आवाम को वो सुविधा क्यों उपलब्ध नही की जा सकती? अगर इंदौर, झाबूआ जैसे आदिवासी क्षेत्र साफ सफाई और व्यवस्था रख सकते है तो संपूर्ण भारत क्यों नही?
धरती अपने आप में बेहद खुबसुरत है पहाड़, नदियां, वादियां ये सब मिलकर ही इसे स्वर्ग बनाते है उस में गंदगी फैला हम लोग उसे नरक बना देते है . मुझे उम्मीद है कि मेरे इस लेख से आवाम और सरकार दोनो ही जागरूक होगें.
लेखक परिचय :- केशी गुप्ता लेखिका, समाज सेविका
निवास – द्बारका, दिल्ली
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