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जय श्री गणेश

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रचयिता :  राम शर्मा “परिंदा”

इनकी पूजा पहले करें ये दाता विशेष।
जय श्री गणेश —— जय श्री गणेश।।
हरी -हरी  दूब सिंदूर  चढ़ाओ
और मोदक का भोग लगाओ
पीत रंग इन्हें पसंद धरते जिसका वेश।
जय श्री गणेश ——  जय श्री गणेश।।
सब कहे इन्हें मंगल मूर्ति
गजब की है इनमें स्फूर्ति
अपने बुद्धिबल से जीते हर इक रेस।
जय श्री गणेश —— जय श्री गणेश।।
गण देवों के ये है स्वामी
सब जाने ये अन्तरयामी
दस दिवस गणेश रंग में झूमे मेरा देश।
जय श्री गणेश ——- जय श्री गणेश।
परिचय :- राम शर्मा “परिंदा” (रामेश्वर शर्मा) पिता स्व. जगदीश शर्मा आपका मूल निवास ग्राम अछोदा पुनर्वास तहसील मनावर है। आपने एम.कॉम बी एड किया है वर्तमान में आप शिक्षक हैं आपके तीन काव्य संग्रह १- परिंदा, २- उड़ान, ३- पाठशाला प्रकाशित हो चुके हैं और विभिन्न समाचार पत्रों में आपकी रचनाओं का प्रकाशन होता रहता है, दूरदर्शन पर काव्य पाठ के साथ-साथ आप मंचीय कवि सम्मेलन में संचालन भी करते हैं। आपके साहित्य चुनने का कारण – भावाभिव्यक्ति का माध्यम है अन्य अभिरुचि – अध्यात्मिक एवं ज्योतिष संबंधी शो …

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