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जय, जय माँ भारती

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रचयिता : भारत भूषण पाठक

विधा-तेवरी

जय, जय माँ भारती।
  सिंह-सुता दहाड़ती।।
 आगे कभी, पीछे कभी
  नीचे कभी, ऊपर कभी
  घूम-घूम अग्नि बाण मारती
  जय, जय माँ भारती ।
  सिंह-सुता दहाड़ती।।
 मार्ग दुष्कर था,लक्ष्य अटल था।
 पर निश्चय उसका भी, प्रबल था।।
  बढ़ रहे थे , असंख्य दुशासन।
   चीर डालने को, तेरा दामन।।
    जय, जय माँ भारती ।
    सिंह -सुता दहाड़ती।।
    मानो खड़ी हो साक्षात माँ चण्डी।
   ़धर जोर वो जब थी हूँकारती ।।
      जय, जय माँ भारती ।
    सिंह -सुता दहाड़ती।।
 असंख्य तोप थे गरज रहे।
 नरमुण्ड भी थे बिखर रहे।।
   जय,जय माँ भारती।
 सिंह -सुता दहाड़ती।।
होकर खून से लथपथ।
  माँ तेरी चरणों को
  वो थी पखार रही।
 और दुशासनों पर
अपने अन्त तक
थी वो हूँकार रही।।
जय, जय माँ भारती।
सिंह-सुता दहाड़ती।।
लेखक परिचय :- 
नाम – भारत भूषण पाठक
लेखनी नाम – तुच्छ कवि ‘भारत ‘
निवासी – ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड)
कार्यक्षेत्र :- आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक
योग्यता – बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है।
काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास :- साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में।

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