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मोहब्बत की है

दामोदर विरमाल
महू – इंदौर (मध्यप्रदेश)

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शिकायत सभी ने की है उस रब से यारो,
हम खामोश है क्योंकि हमने मोहब्बत की है।
गुनाह करके हर शख्स परेशान सा दिखता है,
हम खामोश है क्योंकि हमने मोहब्बत की है।
दर्द दिखा नही सकते आंसू बहा नही सकते,
हम खामोश है क्योंकि हमने मोहब्बत की है।
दुनिया की नज़रों में अक्सर गिरा करते है हम,
हम खामोश है क्योंकि हमने मोहब्बत की है।
ज़ख्म इतना गहरा है और दवा मिलती नही,
हम खामोश है क्योंकि हमने मोहब्बत की है।
उम्मीद दिखती नही और साथ कोई देता नही,
हम खामोश है क्योंकि हमने मोहब्बत की है।
जुबां अगर खोली तो कितने राज़ खुल जाएंगे,
हम खामोश है क्योंकि हमने मोहब्बत की है।
ज़ख्म देना हमे भी आता है पर उन्हें खोना नही चाहते,
हम खामोश है क्योंकि हमने मोहब्बत की है।
ये शिकायतों का दौर तो चलता रहेगा मगर,
हम खामोश है क्योंकि हमने मोहब्बत की है।

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परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्रसाद जी विरमाल इनके नानाजी थे। हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं आपके द्वारा अभी तक कई कविताये, मुक्तक, एवं ग़ज़ल व गीत लिखे गए है, जो आये दिन अखबारों में प्रकाशित होते रहते है।  गायन के क्षेत्र कराओके गीत गाने में आप खासी रुचि रखते है।


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