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विडंबना

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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दिसंबर की कड़ाके की ठंड में वह अपने फटे कंबल से शरीर को ढकने की कोशिश करता हुआ सड़क के किनारे बैठा था। सड़क की दूसरी ओर एक चाय की गुमटी पर बहुत सारे लोग अपने शरीर को गरम करने के लिए चाय की चुस्कियां ले रहे थे, उसे लगा कोई उसे भी एक प्याला चाय पिला दे इस आशा से वह गुमटी पर खड़े लोगों की ओर तथा चाय की पत्ती ली से निकलती भाप की ओर अपलक देख रहा था कि कोई उसकी और देखें परंतु सब अपने मैं व्यस्त थे। किसी की नजर उस पर नहीं पढ़ रही थी, वह इसी आशा से बार-बार उधर देख रहा था की कोई तो देखें उसे परंतु किसी को उसकी ओर देखने की फुर्सत नहीं थी, सब अपने मैं मस्त हो चाय की चुस्की ले रहे थे, यह कैसी मानव की विडंबना है या उसकी नियति यह सब समझ से परे है।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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