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अदृश्य शत्रु बनाम साहस

श्रीमती लिली संजय डावर
इंदौर (म .प्र.)

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आज सोशल मीडिया के माध्यम से घर बैठे स्क्रीन पर दृश्य देख देखकर ऐसा लग रहा है कि मानो पूरा विश्व थम गया है, संसार का कारवां रुक गया है। प्रकृति का सबसे ताकतवर जीव इंसान…..

आज बेबस है,
असहाय है,
मजबूर है,
स्तब्ध है,
डरा हुआ है ,
रुका हुआ है
सहमा हुआ है,
अपनों के पास होकर भी अपनों से दूर है,
अपने ही घर मे,अपनी ही मर्ज़ी से, कैद है ,

किसके कारण ? एक ऐसे “अदृश्य शत्रु “के कारण जिसे सीधे आंखों से देखा भी नहीं जा सकता,

जिसका कोई अस्तित्व नही,
जिसके पास मस्तिष्क नही,
जिसके पास बाहुबल नही,
जिसके पास शस्त्र नही,
जिसकी कोई जात नही,
जिसका कोई धर्म नही,
जो किसी देश का नागरिक नही,
जिसका कोई मित्र या शत्रु नहीं।

आज एक अदने से अदृश्य शत्रु ने इंसान की दुनिया में तबाही मचा दी है, तूफान ला दिया है। इंसान -इंसान के बीच और उसके चारों ओर पहरा लगा दिया। इंसान के साहसी , ताकतवर और शूरवीर होने की परिभाषा ही बदल दी। आज साहस का अर्थ शत्रु का आमने सामने सामना करना नहीं, उस पर शस्त्रों से वार करना नहीं, अपितु उसके डर से अपने घर मे रहना , साहस का परिचायक बन गया।

ये कौन तीसमारखां है? जिसने प्रकृति के सबसे ताकतवर, समझदार होने का दम्भ रखने वाले इंसान को चुनौती दी है, क्या ये जानता नहीं कि उसने किस पर आक्रमण किया है?

बस यही अवसर है…

इंसान को अपनी असलियत पहचानने का,
अपने आपको शक्तिशाली होने के भ्रम से निकालने का,
अपनी करनी के फल भुगतने का,
अपनी गलतियों को सुधारने का,
प्रकृति रूपी उस सर्वोच्च सत्ता के आगे सर झुकाने का।

क्यों कि…..
अभी नही,
तो कभी नही…

परिचय : श्रीमती लिली संजय डावर
सम्प्रति : प्राचार्य शा. हाई स्कूल पेडमी तह. जिला इंदौर
उपलब्धियां व लेखन : विभिन्न शैक्षिक एवं साहित्यिक मंचों से विचार अभिव्यक्ति, संचालन, स्वरचित सरस्वती वंदना, देशभक्तिगीत, विभिन्न विषयों पर कविता, कहानी लेखन।
अन्य : विगत १५ वर्षों तक आकाशवाणी के विभिन्न कार्यक्रमों, वार्ता, सामयिक विषयों पर परिचर्चा, शिक्षा में परीक्षा की तैयारी कैसे करें आदि में सहभागिता।


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