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मासूमियत

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उ.प्र.)

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(बेटी को समर्पित)
हमने देखी है मासूमियत एक सच की तरह,
वो मासूम सी है, स्निग्ध चांदनी सी धवल भी,
शक्ल पर नूर सा बिखरा है उसके
शुद्ध, शांत और सौम्य सी है।
कभी नन्ही, चंचल, अल्हड़पन से घिरी हुई से,
कभी कठोर, अटल, अडिग सी
आसमान की ऊंचाई को नापती हुई दिखती है,
कभी गंभीर, समुंदर की गहराई छुपाए हुए चुपचाप सी
उमंग की लहरें भी बेतहाशा दौड़ पड़ती हैं
ठोकर भी खाती हैं, वापस भी आती हैं, गिर के उठती भी हैं,
सपने कल्पना बनकर आंखों में सजते भी हैं
आंख खुली तो वो हकीकत बनकर टूटते भी हैं।
फिर भी उसकी मासूमियत जिंदा है उसमे,
कल भी थी, आज भी है, मासूम सी ही रहेगी खुद में।।

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए.,एम.फिल – समाजशास्त्र,पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उ.प्र.)
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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