Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

अन्तर्मन

शरद सिंह “शरद”
लखनऊ

********************

अन्तर्मन
की सूनी बगिया में,
फूल खिले अरमानों के,
झूम उठा मन हुआ वावरा
फूटे स्त्रोत तरानों के।
भेदी चादर घोर तिमिर की,
चन्द्र किरण अब चमक उठी,
शुष्क वाटिका में अब फ़िर से
पुष्प वल्लरी बिहन्स उठी।
सुप्त रहें खोये खोये,
उन भंवरों की गुंजार उठी
मनुहारी तितली की आभा,
हर बगिया गुनगुना उठी।
बहे बासन्ती ‌व्यार सुहानी
मतवाली बन लहक-लहक,
नीलगगन में इतराते वो पंछी
प्यारे चहक-चहक,
पुरवैया के झोंकों से
उड़े चुनरिया गोरी की
करें सहेली हंसी ठिठोली,
नयी नवेली दुल्हन की !
प्रियतम संग गोरी मुस्काये,
पल पल जाये वहक-वहक,
झुक-झुक जाये लाज से नयना,
आंचल जाये ढलक-ढलक।

.

परिचय :- बरेली के साधारण परिवार मे जन्मी शरद सिंह के पिता पेशे से डाॅक्टर थे आपने व्यक्तिगत रूप से एम.ए.की डिग्री हासिल की आपकी बचपन से साहित्य मे रुचि रही व बाल्यावस्था में ही कलम चलने लगी थी। प्रतिष्ठा फिल्म्स एन्ड मीडिया ने “मेरी स्मृतियां” नामक आपकी एक पुस्तक प्रकाशित की है। आप वर्तमान में लखनऊ में निवास करती है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *