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भारत की बेटी

शैलेष कुमार कुचया
कटनी (मध्य प्रदेश)
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मैं भारत की बेटी हूँ,
मत करो मुझपर अत्याचार।
सदा ही वीरो के नाम से
लोगो ने भारत को जाना है।
घिनोनी हरकतों से
कलंक मत लगाओ भारत को।

लक्ष्मी बाई जैसी नारी हुई,
जान देश पर वार दी।
मैं भारत की बेटी हूँ,
मत करो मुझ पर अत्याचार।

मातृभूमि को जब सर आँखों पर
रखते हो तो,
एक बेटी पर क्यो पाप करते हो।
मैं भारत की बेटी हूँ,
मत करो मुझपर अत्याचार।

जिस भारत की अहिंसा
पहचान थी,
यहां क्यो मोमबतियां
लोगो ने थामी है।
मैं भारत की बेटी हूँ,
मत करो मुझपर अत्याचार।

बागी भी हुए यहां पर,
लेकिन उन्होंने बेटी,
बहू को इज्जत दी,
तुम ना बनो हैवान।
मैं भारत की बेटी हूँ,
मत करो मुझपर अत्याचार।

बेटी यहां की बर्दी पहन,
रहती है,सदा तैयार
देश पर कब हो जाऊँ क़ुर्बान।
मैं भारत की बेटी हूं,
मत करो मुझपर अत्याचार।

विश्व मे हो रहे,
मुझपर ढेर अपराध,
लेकिन भारत को
मत करो बदनाम।

मैं भारत की बेटी हूँ,
मुझे बचाओ, पढ़ाओ और
युवाओ आगे आकर
सम्मान दिलाओ ।
मैं भारत की बेटी हूँ,
मत करो मुझपर अत्याचार।

परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया
मूलनिवासी : कटनी (म,प्र)
वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना)
प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है।
पद : टी,ए विधुत विभाग अम्बाह में पदस्थ
शिक्षा : स्नातक
भाषा : हिंदी, बुंदेली
विशेष : स्वरचित रचना,विचारो हेतु विभाग उत्तरदायी नही है,इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है।
घोषणा : में यह प्रमाणित करता हूं, कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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