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भारत भूमि

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

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भारत मां की पुण्य भूमि से-
क्रांति के फिर ज्वाल उड़े।
पूर्ण स्वाधीनता की अमर राग-
जन जन फिर हुंकार उठे।
भारत मां की पुण्य भूमि से-
क्रांति के फिर ज्वाला उड़े।
अफसरशाही तानाशाही-
नौकरशाही फिर भाग सके।
एक बार फिर हुंकारे।
संपूर्ण क्रांति फिर जाग उठे।
पूंजीवादी शोषणवादी-
व्यक्तिवादी स्वार्थीवादी फिर भाग उठे।
टंकार यहां हो कण कण में-
अंगार क्रांति की जन-जन में-
शान यहां कि जाग उठे।
अब मान यहां कि जाग उठे।
वीर सुभाष की सपनों की धरती-
फिर एक बार हुंकार उठे।
भारत की पुण्य भूमि से-
क्रांति के फिर ज्वाल उड़े।

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परिचय :- 

नाम – ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला –पूर्वी चंपारण (बिहार)


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