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भारत थाम लिया

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)

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चक्रवात तूफान, कोरोना कहर, और बदमिजाजों की भाषा देखकर सृजित हुई कविता।

जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया
देश ने भी तूफानों से लड़ना सीख लिया।

कभी बेगाने अपनों से ज्यादा अच्छे होते
फिर चलित कथन है अपने तो अपने होते
बेगानों का निःस्वार्थ समर्पण देख लिया
जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया।

शानो शौकत चकमक गाथा शाहों की
सहयोगी योद्धा व्यथा है उन बाहों की
मजदूर कृषक गरीब आहों को परख लिया
जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया।

धरातल सागर चोटी पर सेवा की बरसातें
नियम तोड़ते जाहिलों की कुत्सित सौगातें
कड़े कानून से अब बहुतों ने सबक लिया
जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया।

जन्म मृत्यु वाली माटी का यही अफसाना
कुछ तो ऐसा हो भविष्य याद में रह जाना
माटी पे छाया प्रकोप विध्वंस जान लिया
जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया।

घर रहकर जीवन आनंद बहुत अनोखा था
व्यवसाय भूल भोजन भजन भी चोखा था
सायबर अपराध ठगी अनुभव जान लिया
जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया।

लंबित मामले दशा दिशा के पहल कदम
एक देश विधान नीति से हो विकास धरम
आकाओं की काली जुबान को समझ लिया
जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया।

चमेली कटरीना ओखी फोनी ने डरवाया
अम्फान निसर्ग हमलों से भी जी घबराया
तूफान सरीखे बदजुबानी रहस्य खोल लिया
जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया।

डॉक्टर पोलिस सीमा जवान देश के प्रहरी
अत्याचारी कर्मकांड से मानस वेदना गहरी
सेवा कुल रक्षकों ने भारत को थाम लिया।
जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया।
देश ने भी तूफानों से लड़ना सीख लिया ।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति :१९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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