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गाँव में

मिथिलेश कुमार मिश्र ‘दर्द’
मुज्जफरपुर

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झेलता हूँ गाँव को।
खेलता हूँ गाँव को।
खेलना सरल नहीं।
गाँव है तरल नहीं।

उलझनों की बाढ़ है।
संकट बड़ा ही गाढ़ है।
मित्र शत्रु बन रहे।
षड़्यंत्र में मगन रहे।

रहा न गाँव गाँव है।
स्नेहहीन छाँव है।
चलता रहा मैं धूप में।
जलता रहा मैं धूप में।

छाले पड़े हैं पाँव में।
रहना कठिन है गाँव में।
रहना कठिन है गाँव में।

परिचय :- मिथिलेश कुमार मिश्र ‘दर्द’
पिता –
रामनन्दन मिश्र
जन्म –
०२ जनवरी १९६० छतियाना जहानाबाद (बिहार)
निवास –
मुज्जफरपुर
शिक्षा –
एम.एस.सी. (गणित), बी.एड., एल.एल.बी.
उपलब्धियां –
कवि एवं कथा सम्मेलन में भागीदारी पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन
अप्रकाशित रचनाएं –
यज्ञ सैनी (प्रबंध काव्य), भारत की बेटी (गीति नाटिका), आग है उसमें (कविता संग्रह), श्रवण कुमार (उपन्यास), परानपुर (उपन्यास), अथ मोबाइल कथा (व्यंग-रचना)


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