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रंग बिरंगी दुनिया में

वीणा वैष्णव
कांकरोली

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शहर की रंग बिरंगी दुनिया में, खो गए हैं सब
बहुत मुश्किल बयां करना, पराए हो गए है सब।
बाहर से उजले, अंदर से काले हो गए हैं सब।
अपनत्व खत्म कर, रंगीनियों में खो गए हैं सब।।
दर्द एहसास नहीं, दिखावटी प्यार जताते हैं सब।
एक कमरे में रहकर भी, कोना ढूंढते हैं सब।।
अपने होकर भी, गैरों की तरह मिल रहे हैं सब।
रंग बिरंगी दुनिया में, कितने बदल गए हैं सब।।
पैसे बहुत है, दिल से गरीब हो गए हैं सब।
झूठी मुस्कुराहट चेहरे पर, लिए फिर रहे हैं सब।।
झूठी रंग बिरंगी दुनिया, क्यों खो रहे हैं सब।
हकीकत बिसरा, अनजान बन रहे हैं सब।।

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परिचय : कांकरोली निवासी वीणा वैष्णव वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय फरारा में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। कवितायें लिखने में आपकी गहन रूचि है।


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