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सुभाष बालकृष्ण सप्रे
भोपाल म.प्र.
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समांत:- है
पदांत:- आव
‘आज समाज मेँ एक दिखता है, प्रभाव,
धर्म कर्म मेँ लोगोँ का दिखता है, भाव,
धर्म निरपेक्ष की रीत, को हम मानते,
और व्यवहार मेँ भी दिखाते है, सदभाव,
साथ रहते हुये, पीढियाँ कई गुजर गईँ,
छोटी छोटी बातोँ पर, न दिखाते हैँ, ताव,
शातीँ प्रिय हैँ हम, बात सभी ये जानते,
हर सँकट मेँ सेवा का दिखाते हैँ, स्वभाव,
दुष प्रचार करने का काम करते, कुछ, लोग,
हमारे आपसी स्नेह से, नही होता, दुष्प्रभाव.”
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लेखक परिचय :-
नाम :- सुभाष बालकृष्ण सप्रे
शिक्षा :- एम॰कॉम, सी.ए.आई.आई.बी, पार्ट वन
प्रकाशित कृतियां :- लघु कथायें, कहानियां, मुक्तक, कविता, व्यंग लेख, आदि हिन्दी एवं, मराठी दोनों भाषा की पत्रीकाओं में, तथा, फेस बूक के अन्य हिन्दी ग्रूप्स में प्रकाशित, दोहे, मुक्तक लोक की, तन दोहा, मन मुक्तिका (दोहा-मुक्तक संकलन) में प्रकाशित, ३ गीत॰ मुक्तक लोक व्दारा, प्रकाशित पुस्तक गीत सिंदुरी हुये (गीत सँकलन) मेँ प्रकाशित हुये हैँ.
संप्रति :- भारतीय स्टेट बैंक, से सेवा निवृत्त अधिकारी
निवासी :- भोपाल म.प्र.
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