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वो हमारी ज़िन्दगी में

शरद जोशी “शलभ”
धार (म.प्र.)

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वो हमारी ज़िन्दगी में इस तरह छाने लगे।
दिल किया उनके हवाले वो हमें भाने लगे।।

हमने मिलने के लिए उनको बुलाया था यहाँ।
हम यहाँ आए अभी हैं और वो जाने लगे।।

हो गई वाबस्तगी कुछ ऐसी है उनसे हमें

वो तसव्वुर में हमारे हर घड़ी आने लगे।।

भूल बैठे हैं हमें वो इक ज़रासी बात पर।
एक हम हैं जो उन्हीं के गीत बस गाने लगे।।

होसले जिनके कभी होते नहीं मज़बूत हैं।
सिर्फ़ आहट से ही ऐसे लोग घबराने लगे।।

शायरी का इल्म जिनको है नहीं कुछ भी मगर।
वो ग़ज़ल पढ़ने के ख़ातिर मंच पर जाने लगे।।

बढ़ गए आगे ‘शलभ’ कुछ लोग झूठी चाल से।
बेइमानी से वो अब सम्मान भी पाने लगे।।

परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी “शलभ” कवि एवंं गीतकार हैं।
विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौरभ, साहित्य शिरोमणि, साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित हैं।
म.प्र. लेखक संघ धार, इन्दौर साहित्य सागर इन्दौर, भोज शोध संस्थान धार आजीवन सदस्य हैं। आप सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, अखिल भारतीय साहित्य परिषद धार (म.प्र.) के जिला अध्यक्ष हैं व वर्तमान में साहित्य सेवा में निरंतर संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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