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मगहर में

मृत्युंजय उपाध्याय नवल
सिरसिया (कुशीनगर-गोरखपुर)

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मगहर में
कबीर की समाधि पर
हमने चढाए थे फूल
वहीं तुमने पढाया था मुझे
ढाई आखर प्रेम का
मै पढता चला गया
हलाँकि मुझे पढकर
कोई पण्डित नही बनना था
मैं तो सिर्फ
महसूस करना चाहता था प्रेम को
जिना चाहता था प्रेम को
आमी में झाँकते हुए
मैने देखी थी
मेरी परछाईं को ढकती
तुम्हारी परछाईं को
साखी, सबद, रमैनी भी
आमी के उठते जल तरंगो पर
तुमने गाया था प्रेम गीत
अब तुम कहती हो
ये बातें सिर्फ किताबी है
सच कहती हो
प्रेम तो कबीर है
कबीर सिर्फ किताबो में
और हम कबीर से बहुत दूर हैं।

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लेखक परिचय :-
नाम – मृत्युंजय उपाध्याय नवल
निवासी – सिरसिया नम्बर जिला – कुशीनगर
शिक्षा – एम.कॉम., एम.ए. (अर्थशास्त्र, शिक्षाशास्त्र), बी.एड.,पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (एम.जे.)
सम्प्रति – आकाशवाणी उद्घोषक, आकाशवाणी गोरखपुर
पत्र-पत्रिका – कथा क्रम, आजकल, यात्रा, साम्य, सोच विचार, लेखन यात्रा, राष्ट्रधर्म, आर्यसन्देश, सतह, पुरवाई, कादम्बिनी, जागरण, राष्ट्रीय सहारा, आज, पंचायत काल, अमर उजाला, आदि।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार – सरस्वती प्रतिभा सम्मान २००७ द्वारा सरस्वती सहित्य वाटिका, सृजन श्री सम्मान २००६ द्वारा सृजना सहित्य संस्थान, साहित्य सुमन सम्मान २०११ द्वारा अर्श संस्थान, गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल में सम्मानित
उपलब्धि – स्वच्छ भारत अभियान और योग के प्रचार प्रसार के लिए क्षेत्रीय निदेशालय, सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय द्वारा सम्मानित
आकाशवाणी गोरखपुर के लिए नाटक और झलकियों का लेखन


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