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अमर सपूत महाराणा प्रताप

डॉ. पंकजवासिनी
पटना (बिहार)
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राजपूती शान हैं राणा!
देश का अभिमान हैं राणा!!
मुगलों के समक्ष नग सम अटल!
चित्तौड़-आन रक्षक थे राणा!!

राणा भरे जब-जब हुंकार!
समर में गूंँज उठे टंकार!!
भयभीत मुगल कांँप उठे थे!
राणा के शौर्य कि जयकार!!

हल्दीघाटी विकट संग्राम!
टकराया असि सँ असि का जाम!!
अरिदल शीघ्र हुए भू-लुंठित!
पर चेतक पहुंँचा परमधाम!!

गिरि-सा साहस था राणा का!
चेतक भी अद्भुत राणा का!!
इतिहास- अमर जिसका उत्सर्ग!
स्वामी -भक्त अश्व राणा का!!

जंगलों की खाक थी छानी!
घास की रोटी पड़ी खानी!!
पर गुलामी नहीं स्वीकार!
यशोगाथा जग की जुबानी!!

मरुभूमि हो गई रे निहाल!
पाकर राणा-सा वीर लाल!!
स्वाभिमानी औ पराक्रमी!
गौरव तिलक भारत के भाल!!

आज स्वार्थ का ऐसा चलन!
राष्ट्र हित नित हो रहा दहन!!
दिव्य चरित स्मरण कर भारत!
राणा का देश-हित-स्व-हवन!!

परिचय : डॉ. पंकजवासिनी
सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय
निवासी : पटना (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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