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अनैतिकता

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

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अनैतिकता का बोल-बाला है जहां भी-
आसुरी शक्तियां वहां पर है चरम पर!
खोद चुका है पूर्व में मानव-
कब्र अपना गगनचुंबी इमारतों में!
झांक रहा है पतन का गुब्बार अपना-
बहुत दूषित कर चुके तुम इस धरा को!
कराह रही है धरती मां और अंबर अपना-
स्वप्न बन गई है कि कल कल निर्मल!
बहती रही सदा संसार की नदियां-
प्राण दायिनी वायु भी अब बन गई जान लेवा!
चारों तरफ हाहाकार है रो रही है यह धरा-
संत भी सुरक्षित नहीं है यह है मानवी वेदना!
वोट बैंक के लिए स्वार्थी फरेबी बन गए हैं नेता-
देशहित से बढ़कर इनका सुनहला स्वप्न अपना!
नित सीमाओं पर शहीद हो रहे देशभक्त अपना!
कैसे सुरक्षित रहेगा मां भारती का भविष्य अपना-
श्रेष्ठताओ को भूलकर हम चले जा रहे कहाँ?
मां भारती की चरणों में है-इस अकिंचन का-
करुण क्रंदन रुदन बंदन शत शत नमन!

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परिचय :- ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला – पूर्वी चंपारण (बिहार)
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान


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