Sunday, November 24राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

कल्पना

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

********************

विरह की अगन बनकर तूम भी
बहुत पल जल चुकी हो।
अब प्यार की पावस बनकर
जरा बरस कर देखो।
गीत बनकर पुष्प बन हार बनकर
पा चुकी महिमा बहुत सृंगार बनकर।
बोलो अब मौन ब्रत तोड़ो
मेरे शुष्क हृदय में उतरकर।
अपने अधरों में छुपे हास को विखरो
कल्पना जन्म जन्मान्तरों के बंधनों से।
उन्मुक्त होकर फिर ये
अनन्त नाद फिर से भर दो।
तुम कालचक्र हो केशव का
माया बंधन को छिन्न भिन्न कर दो।
पल भर में दिव्य चेतना की
अमृत रस ह्रदय पटल में भर दो।
शंकर की डमरू बन कर
तुमअनन्त नाद भर दो।
माँ सरस्वती की विणा बन कर तुम
कल्पना अनन्त स्वर भर दो।
कल्पना तुम ही तो
कवियों की सवामिनी हो।
अनन्त राग रागनी हो
प्यास और नदिया तुम्ही हो।
तुम्ही पाप और पुण्य हो

परिचय :- ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला – पूर्वी चंपारण (बिहार)
सम्मान – राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीयहिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे सदस्य बनाएं लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *