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सोच समझकर वोट किया तो

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच
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अपने मत से तुम्हें बनानी,
है कल की सरकार प्रिये।
सोच समझकर वोट किया तो,
हों सपने साकार प्रिये।।

लिए पोटली अब वादों की,
नेताजी द्वारे द्वारे।
जाकर बांट रहे गारंटी,
कर देंगे वारे न्यारे।।
कहते हैं कल नहीं रहेगा,
है जो हाहाकार प्रिये।
सोच समझकर वोट किया तो….

भूखे को हम खाना देंगे,
बेघर को हम घर देंगे।
शिक्षा बिजली गैस विवाह का,
इंतजाम भी कर देंगे।।
बिन मेहनत कैसा होगा सुख,
सपनों का संसार प्रिये।
सोच समझकर वोट किया तो…

हरे लाल भगवा नीले सब,
सेवा की ही .बात करें।
सेवा के पर्दे के पीछे,
देखा अक्सर घात करें।।
कहते चाय पकौड़ी बेचो,
अच्छा है व्यापार प्रिये।
सोच समझकर वोट किया तो…

धनवानों को बेच न दें ये,
देश अमन के रखवाले।
जरा गौर से देखो इनके,
जीवन के चिट्ठे काले।।
है अडानी अंबानी इनके,
सचमुच खेवनहार प्रिये।
सोच समझकर वोट किया तो…

पांच साल का वक्त मिला तो,
प्यास बुझा लेंगे अपनी।
कर लेंगे साकार ख्वाब सब,
मंजिल पा लेंगे अपनी।।
जनता क्या कर लेंगी उनका,
कर देंगे लाचार प्रिये।
सोच समझकर वोट किया तो…

“अनन्त” जनता ही मालिक है,
लोकतंत्र में पहिचानें।
जनता का सत्ता पर अंकुश,
रहे इसी में हित जानें।।
अंकुश बिना बनी देखी है,
सत्ता ये तलवार प्रिये।
सोच समझकर वोट किया तो…

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)


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