Sunday, September 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

अगर प्रधानमंत्री मैं होता

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच

********************

जरूरतें सब पूरी करता,
नहीं भीख को कर फैलाता।
अगर प्रधानमंत्री मैं होता,
सबको अपने हक दिलवाता।।

लक्ष्य आर्थिक आजादी का,
रखते मेरे साथी रहबर।
पक्के भवन खड़े इठलाते,
नहीं दीखते कच्चे छप्पर।।
शहरों की निर्भरता होती,
कमतो कृषक सभी सुख पाते।
नहीं पलायन होता मिलकर,
गांवों को ही स्वर्ग बनाते।।
दूध दही की नदियां बहती,
भारत जग में गौरव पाता।
अगर प्रधानमंत्री मैं होता,
सबको अपने हक दिलवाता।।

घर-घर में उद्योग चलाता,
गांव-गांव कलपुर्जे ढलते।
विकेंद्रित करता उत्पादन,
कम पूंजी में काम निकलते।।
श्रमको मिलता पूरा प्रतिफल,
बेकारी का नाम ना होता।
साहूकारों के चक्कर में,
घर आंगन नीलाम ना होता।।
धन पर पूरा अंकुश होता,
खुदपर निर्भर देश बनाता।
अगर प्रधानमंत्री मैं होता,
सबको अपने हक दिलवाता।।

हर तरह की स्वतंत्रता का,
भोग यहां पर जनता करती।
समानता जन-जन में होती,
सत्ता भेदभाव से डरती।।
अगर कोई भाईचारे में,
कुत्सित मन से आग लगाता।
सबकी नजरों में वो दुश्मन,
मानवता का समझा जाता।।
मानव की गरिमा को कायम,
करता भूखा नहीं सुलाता।
अगर प्रधानमंत्री मैं होता,
सबको अपने हक दिलवाता।।

बच्चे भारत के भविष्य हैं,
इनको शिक्षा मुफ्त दिलाता।
बने निरोगी जिस्म सभी के,
ऐसी सब सुविधाएं लाता।।
अपना काम “अनन्त” करें सब,
उत्पादन में सहयोगी हो।
हों सपने साकार सभी के,
वो योगी हों या भोगी हों।।
नहीं शिकायत का मौका मैं,
देता काम सभी के आता।
अगर प्रधानमंत्री मैं होता,
सबको अपने हक दिलवाता।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
निवासी : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … 🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे सदस्य बनाएं लिखकर हमें भेजें… 🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *