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काश की कोई

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रुचिता नीमा
इंदौर म.प्र.

काश की कोई ऐसा हमसफ़र होता
जो तन्हाई में भी साथ होता,,,,,
जिससे न कुछ छिपा होता,,
वो हर मर्ज की दवा होता…..
जो समझ सकता अनकहे जज्बातों को,
और महसूस करता दिल के अहसासों को।।।

सोचो कितना हसीन सा फिर वो सफर होता
जिसमे हर पल आपका अजीज हमसफ़र होता,,,
फिर न मंजिल की फिक्र होती,
न मुश्किलों का कोई असर होता।।।

काश की ऐसा कोई हमसफ़र होता
तो बहुत खूबसूरत ये जीवन का सफर होता

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लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।


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