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काश ऐसा होता

नितिन राघव
बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)

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काश ऐसा होता
ये विरह ना होता
वो मेरे पास होती
मैं उसके पास होता

काश ऐसा होता
सुबह वो आती
भीगे पालो को झटक
मुझे रोज जगाती

काश ऐसा होता
वो खाना बनाती
खीर मैं नमक होने पर भी
मैं उसे मीठी बताता

काश ऐसा होता
मैं दफ्तर ना जाता
वो मुझे बैग देती
प्यार से जाने को कहती

काश ऐसा होता
जब मैं रूठ जाता
वो मुझे मनाती
जब वो रूठ जाती
मैं उसे मनाता

काश ऐसा होता
मैं कही उसे घुमाता
आइसक्रीम खिलाता
जब होठ उसके सनते
तो जीभ से हटाता

काश ऐसा होता
उसको खुशियाँ देता
दुख उसके लेकर
अकेला उन्हें सहता

काश ऐसा होता
वो मायके जब जाती
मैं अन्दर अन्दर रोता
मैं खाना ना खाता
मुझे नींद ना आती

काश ऐसा होता
जब विस्तर पर वो सोती
मैं तकिया उसका होता
वो आराम से सोती
मैं बडा़ खुश होता

काश ऐसा होता
वो राधा ना होती
मैं श्यामा ना होता
ना वो विरह सहती
ना मैं विरह सहता

परिचय :- नितिन राघव
जन्म तिथि : ०१/०४/२००१
जन्म स्थान : गाँव-सलगवां, जिला- बुलन्दशहर
पिता : श्री कैलाश राघव
माता : श्रीमती मीना देवी
शिक्षा : बी एस सी (बायो), आई०पी०पीजी० कॉलेज बुलन्दशहर, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से, कम्प्यूटर ओपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट डिप्लोमा, सागर ट्रेनिंग इन्स्टिट्यूट बुलन्दशहर से
कार्य : अध्यापन और साहित्य लेखन
पता : गाँव- सलगवां, तहसील- अनूपशहर जिला- बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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