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लगाई तुमसे प्रीत तो

दामोदर विरमाल
महू – इंदौर (मध्यप्रदेश)

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लगाई तुमसे प्रीत तो बदनाम हो गया।
माना जो तुमको राधा तो मैं श्याम हो गया।

हुई सुबह शुरू तो आफताब हो गया।
जैसे ही दिखे तुम ये दिल गुलाब हो गया। २
करने लगा हूँ अबतो मैं बातें अजीब सी,
लगता मेरा ये दिल तेरा गुलाम हो गया।

लगाई तुमसे प्रीत तो…

सुबह से शाम तेरा इंतज़ार हो गया।
तुझको ही चाहूँ तेरा तलबगार हो गया।
मेरा महक गया चमन आ जाने से तेरे,
फूलों की तरह खिलके मैं गुलफाम हो गया।

लगाई तुमसे प्रीत तो…

आने लगा हूँ आजकल लोगो की नज़र में।
मैं आधा हुआ जा रहा हूँ तेरी फिकर में।
तूने तो कैद कर लिया मुझको तेरे दिल में,
मेरे दिल मे यार तेरा भी मकाम हो गया।

लगाई तुमसे प्रीत तो…

चारो तरफ है चर्चा तेरे मेरे नाम का।
था पहले अब नही रहा मैं कोई काम का।
पहले जो मिला करते थे चुपके तो ठीक था,
मगर ये किस्सा अबतो सरेआम हो गया।

लगाई तुमसे प्रीत तो बदनाम हो गया।
माना जो तुमको राधा तो मैं श्याम हो गया।

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परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्रसाद जी विरमाल इनके नानाजी थे। हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक सम्मान एवं आपके द्वारा अभी तक कई कविताये, मुक्तक, एवं ग़ज़ल व गीत लिखे गए है, जो आये दिन अखबारों में प्रकाशित होते रहते है।  गायन के क्षेत्र कराओके गीत गाने में आप खासी रुचि रखते है।


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