Friday, December 27राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

पलट गया हूँ मैं

रचयिता : शरद जोशी “शलभ”

========================================

पलट गया हूँ मैं

तमाम रिश्तों से नातो से कट गया हूँ मैं।
निकल के दुनिया से ख़ुद में सिमट गया हूँ मैं।।

किसी की चाह न बाक़ी न राबता बाक़ी।
तलब की राह से अब दूर हट गया हूँ मैं।।

ये रोशनी तो दिया बुझने के क़रीब की है
दिये के तेल से घट- घट के घट गया हूँ मैं।।

किसी भी शक्ल में घर लौटना नहींं मुमकिन।
हज़ारों लाखों करोड़ों में बट गया हूँ मैं।।

पलट के जाना था इक दिन ख़ुदा की सम्त”शलभ”
कि आज ही से उधर को पलट गया हूँ मैं।।

 

परिचय :- धार जिला धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी “शलभ” कवि एवंं गीतकार हैं।
विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल।
आप विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौरभ, साहित्य शिरोमणि, साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित हैं।
म.प्र. लेखक संघ धार, इन्दौर साहित्य सागर इन्दौर, भोज शोध संस्थान धार आजीवन सदस्य हैं। आप सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, अखिल भारतीय साहित्य परिषद धार (म.प्र.) के जिला अध्यक्ष हैं व वर्तमान में साहित्य सेवा में निरंतर संलग्न हैं।

आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर कॉल करके सूचित अवश्य करें … और अपनी खबरें, लेख, कविताएं पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindirakshak.com सर्च करें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा SHARE जरुर कीजिये और खबरों के लिए पढते रहे hindirakshak.com  कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने मोबाइल पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक के ब्राडकॉस्टिंग सेवा से जुड़ने के लिए अपने मोबाइल पर पहले हमारा नम्बर ९८२७३ ६०३६० सेव के लें फिर उस पर अपना नाम और प्लीज़ ऐड मी लिखकर हमें सेंड करें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *