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मैं तेरे दिल की गुड़िया

रागिनी सिंह परिहार
रीवा म.प्र.

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मैं तेरे दिल की गुड़िया हूँ,
जिसे बाबा ने पाला हैं।
अगर माँ की गोदी है,
तो बाबा ने दुलारा है।
मुझे है प्यार दोनो से,
मगर ये भी हकीकत है।
मैं चिड़िया हूँ आंगन की,
पराये घर जाना है।
मैं जब माँ बनती हूँ,
तो बेटी की याद आती हैं।
जब मैं बेटी बनती हूँ ,
माँ की याद आती हैं।
मैं दोनो की ममता हूँ,
मुझे दोनो ही प्यारी है।
इधर माँ भी प्यारी है ,
उधर बेटी भी प्यारी है।
मुझें दोनो की हालत
एक सी मालुम पडती हैं।
इधर माता की ममता है,
उधर बेटी दुलारी हैं।
मुझे हर बक्त ही नैहर
की वो दिन याद आते हैं।
कभी आंगन में खेली थी,
कभी शाला में पढ़ती थी।
इधर ममता की पीड़ा है,
उधर बेटी की चिंता है।
मैं तेरे दिल की गुड़िया हूँ,
जिसे बाबा ने पाला है …..

परिचय :- रागिनी सिंह परिहार
जन्मतिथि : १ जुलाई १९९१
पिता : रमाकंत सिंह
माता : ऊषा सिंह
पति : सचिन देव सिंह
शिक्षा : एम.ए हिन्दी साहित्य, डीएड शिक्षाशात्र, पी.जी.डी.सी.ए. कंप्यूटर, एम फील हिन्दी साहित्य, पी.एचडी अध्ययनरत


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