Sunday, September 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

मैं मंजिल हूँ तुम्हारी

*********

दीपक्रांति पांडेय
(रीवा मध्य प्रदेश)

मैं मंजिल हूँ तुम्हारी, ये सच है, इसे तुम मान लो,
मैं पहली और आखरी ख्वाइश हूँ, तुम्हारी, जान लो,

मैं तुम्हारी ताकत हूँ, ताकत और हौंसला भी,
किसी भी कसौटी में परख कर, इसे मान लो,
नाराजगी, झगड़े, और दूरियाँ ना टिकेंगी हमरे बीच,
अधूरे हो मेरे बिन तुम, हकीकत है इसे पहचान लो,

सच्चे प्यार की ताकत को वक्त रहते पहचान लो,
दुनियाँ ने जो तुम्हें बताया, वो तुमने मान लिया,
दूसरों ने जो मंजर दिखाया उसे सच जान लिया,
खुद की आंखें खोलो और सच को खुद जान लो,

फ़र्क होता है बहुत, सच और झूठ के बीच,
बस इसी सूक्ष्म फ़र्क को देखो, पहचान लो,
नमी मेरे निगाहों से, छलकती है अगर हरपल,
हो खुश कैसे, दिले हालत से पूँछो, और जान लो,

मैं हूँ अकेली और तन्हा, ज़िन्दगी के सफर में तो,
हो भीड़ में तन्हा तुम भी, खुद से पूछो ये जान लो,

मैं मंजिल हूँ तुम्हारी,ये सच है, इसे तुम मान लो,
मैं पहली और आखिरी ख्वाइश हूँ, तुम्हारी,जान लो,

.

लेखिका परिचय :-  दीपक्रांति पांडेय रीवा मध्य प्रदेश


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *