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मैं खुद के साथ हूँ

अनिल कुमार मिश्र
राँची (झारखंड)

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मैं खुद के साथ हूँ
फिर भी अकेला
गीत गाता हूँ
नयन में आँसुओं
की धार लेकर
गुनगुनाता हूँ।
समर बेचैन तो करता
हृदय में हूक भी उठती
ये रिश्ते दिल जलाते हैं
यही सबको बताता हूँ।
हृदय में पीर का
पर्वत छुपाए
मुस्कराता हूँ
मैं खुद के साथ हूँ
फिर भी अकेला
मानकर सबको झमेला
नयी कुछ बात कह
जग को जगत से
मैं बचाता हूँ
ये रिश्ते दिल जलाते हैं
यही सबको बताता हूँ।
मैं सबके साथ हूँ
फिर भी अकेला
गुनगुनाता हूँ
दुश्मनों से प्यार के
रिश्ते निभाता हूँ
मुस्कुराकर, गुनगुनाता
गीत गाता हूँ
मैं खुद के साथ हूँ
फिर भी अकेला
इस जगत का
एक झमेला
गीत को लिखकर
हृदय में प्राण पाता हूँ।
कृपा मित्रों की
नित बरसे
यही है कामना मेरी
नयन में आँसुओं के
भार ढोकर
मुस्कराता हूँ
तड़पता हूँ मैं,
जलता भी हूँ
कुछ कष्ट है
ऐसा हृदय में
पीर से गलता भी हूँ
जगत का दर्द
अनुभव कर हृदय से
गीत गाता हूँ
मैं सबके साथ हूँ
फिर भी अकेला
मुस्कुराता हूँ।

परिचय :-अनिल कुमार मिश्र
शिक्षा : एम.ए अंग्रेज़ी, एम.ए संस्कृत, बी.एड
जन्म : ९/६/१९७५
निवासी : राँची, झारखंड
सम्प्रति : प्राचार्य, सी.बी.एस.ई. स्कूल
प्रकाशन : काव्य संकलन’अब दिल्ली में डर लगता है’ (अमेज़न, फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध)
“अब दिल्ली में डर लगता है” (काव्य संकलन)
“रिश्तों की अस्थियाँ” (काव्य संकलन)
“काव्य संगम” (साझा काव्य संकलन)
“वर्त्तमान सृजन” (साझा काव्य संकलन)
“भारत के युवा कवि और कवयित्रियाँ” (साझा संकलन)
निरंतर मुक्त लेखन
५०० से ज्यादा रचनाएँ विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित
साहित्यिक सम्मान : अशोक अंचल स्मृति सम्मान, काव्य संगम सम्मान, श्रेष्ठ शब्द शिल्पी सम्मान, नेपाल भारत अंतरराष्ट्रीय साहित्य रत्न सम्मान, नेपाल भारत साहित्य सेतु सम्मान
साहित्यवीर सम्मान, काव्य रंगोली कलमवीर सम्मान, काव्य रत्न सम्मान, अंतरराष्ट्रीय साहित्य-साधक सम्मान २०२०
)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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