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मैं पत्थर हूँ

रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
इंदौर म.प्र.

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सृजन-सेवाओं में संलग्न हूँ, वर्षों से भू पर हूँ!
कोई आंके न कम, मानव-हितैषी हूँ मैं पत्धर हूँ!

मैं कंकर हूँ, मैं पाहन हूँ, मैं ही चट्टान भूधर की!
शिला हूँ, फर्श हूँ, स्तंभ हूँ, दीवार हूँ घर की!
लगा हूँ द्वार पर, दहलीज़ पर, भवनों की चौखट पर!
नदी के घाट पर, पुष्कर के तट पर, कूप-पनघट पर!

कहीं हूँ नींव में तो मैं कहीं ऊँचे शिखर पर हूँ !
कोई आंके न कम, मानव-हितैषी हूँ मैं पत्थर हूँ!

खिलौनों में ढलूं तो मोह लेता हूँ करोड़ों मन!
रत्न के रूप में करता हूँ श्रृंगारित मनुज का तन!
मेरी हर जाति के पाषाण का आकार है अद्भूत !
विविध गुणधर्म आधारित है जो विस्तार है अद्भुत!

वन-उपवन, ग्राम-नगरी, महानगरों की डगर पर हूँ!
कोई आंके न कम, मानव-हितैषी हूँ मैं पत्थर हूँ!

टूट जाता हूँ जब-जब बिखर जाता है मेरा तन!
शिल्पकारों के कर से निखर जाता है मेरा तन!
मेरी काया पटल पर विश्व का इतिहास टंकित है!
पुरा लिपिबद्ध हैं आलेख, सुन्दर चित्र अंकित हैं!
भूमि पर संस्कृति-रक्षक, धरोहर-पक्षधर हूँ मैं!
कोई आंके न कम, मानव-हितैषी हूँ मैं पत्थर हूँ!

मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों व गुरुद्वारों में रहता हूँ!
गुंबदों ही नहीं, मैं भव्य मीनारों में रहता हूँ!
बनारस, रोम,अमृतसर, मदीना हो या मक्का हो!
नहीं सहयोग मेरा हो तो कैसे सृजन पक्का हो!
कहीं पर दिव्य प्रतिमा हूँ कहीं मैं प्रिय प्रस्तर हूँ!
कोई आंके न कम, मानव-हितैषी हूँ मैं पत्थर हूँ!

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लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद
कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य
सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा
लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि।
प्रकाशन ~ अब तक लगभग दो दर्जन साझा काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच काव्य संकलनों का संपादन किया है।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं।
विशेष उपलब्धि ~ हिन्दी और अंग्रेजी का राज्य प्रशिक्षक तथा जूनियर रेडक्रास का राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। सन्रा १९९२ में राज्यपाल से अवार्ड मिला।
लेखनी का उद्देश्य ~ राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता तथा व्यक्तिगत सर्वांगीण विकास।
पसंदीदा हिन्दी लेखक ~ शिवमंगलसिंह सुमन, दुष्यंत कुमार, नीरज
विशेषज्ञता ~ मैं सदैव स्वयं को विद्यार्थी मानता आया हूँ।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार ~ भारत से मैं असीम प्रेम करता हूँ। धरती पर ऐसा अद्भुत महान देश अन्यत्र नहीं। मुझे हिन्दी बोलने,पढ़ने और इस भाषा में कुछ भी लिखने में बहुत गर्व का अनुभव होता है।
मौलिकता की जिम्मेदारी ~ मैं मौलिकता को लेखन का अनिवार्य अंग मानता हूँ।


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