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मैं खुद्दार हूं

आशीष द्विवेदी समदरिया
शहडोल (मध्यप्रदेश)
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जीवन है संघर्ष है ये
लड़ रहा, जूझ रहा
क्योंकि खुद्दार हूं मैं

मैं खुद्दार हूं, मैं लड़ रहा,
नहीं मैं भयभीत हूं,

मैं धूप में, मैं छांव में
ढल रहा पहर भी हो
खोई नहीं पहचान अपनी
क्योंकि खुद्दार हूं मैं

मैं लड़ रहा, अपने आप से
मैं जितता, अब खुद से हूं

मैं खुद्दार हूं, मैं अपनों से दूर भी हूं
मगर हारा नहीं हूं मैं,

मैं छोड़ा नहीं हूं अपनी खुद्दारी
मैं हार भी नहीं माना हूं,

अंत तक लड़ूंगा मैं,
छोड़ा नहीं अभी जिंदगी को,

मैं खोया नहीं हूं, पहचान अपनी
दिन हो, रात हो, मैं जिंदगी छोड़ नहीं,

मैं खुद्दार हूं, मैं अपनी खुद्दारी छोड़ नहीं हूं,
जिंदगी की कदर करना छोड़ नहीं हूं।।

परिचय :-  आशीष द्विवेदी समदरिया
निवासी : शहडोल (मध्यप्रदेश)
व्यवसाय : बैंकर
सम्प्रति : लगभग १० किताबें प्रकाशित)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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