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हर बातों को टाल रही हूं!

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रचयिता : दीपक्रांति पांडेय

यह जो तस्वीरें मैं यादों के रूप में,
हर पल दिल से संभालती रही हूं।
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जख्मों को मैं मिटाती नहीं कभी,
नासूर बन्ने तक पालती रही हूं।
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बेशक मुझे पता है हर पल,
आज मेरा वक्त खराब चल रहा है साहेब।
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अपने हर अच्छे वक्त के इंतजा़र में,
बुरे लम्हों को मुस्का के टालती रही हूं,
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कचरा कहते हैं लोग जिन यादों को,
हीरा मान के तिजोरी में डालती रही हूं,
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नादान हैं बेचारे एसा सोचने बाले,
मैं यही सोचकर बात टालती रही हूं।
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बेशक वो दौर आएगा बगल में
फोटो खिंचवाने हर कोई दौड़ आएगा।
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बस इसी ख्याल से गै़र जरूरी बातों को
अपने जहेंन से नकालती रही हूं।
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लेखिका परिचय :-  दीपक्रांति पांडेय रीवा मध्य प्रदेश


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