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मैं एक शिक्षक हूं

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
भोपाल (मध्यप्रदेश)

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आज मैं एक शिक्षक हूं ।
शिक्षा देने का दायित्व है ।
मुझ पर मैं अपने ।
दायित्व का निर्वाह ।
पूर्ण ईमानदारी और निष्ठा से ।
कर रही हूं ।

मैं बहुत सौभाग्यशाली हूं ।
मुझे शिक्षक होने पर ।
बहुत गर्व है,ईश्वर ने मुझे
विद्यार्थियों का जीवन ।
संवारने का अवसर ।
प्रदान किया ।

मेरे शिक्षक बनने के पीछे ।
मुझे ज्ञान प्रदान करने वाले ।
समस्त शिक्षकों को मैं शत-शत।
नमन करती हूं,जिन्होंने मेरे ।
जीवन में ज्ञान का प्रकाश भर ।
मुझे शिक्षक पद योग्य बनाया ।

शिक्षक से बचपन में डांट भी ।
खाई अब समझ आया।
मेरे शिक्षक मुझे और मेरे जीवन ।
गढ़ने का भरपूर प्रयास करते थे ।
मेरे जीवन में आए समस्त शिक्षकों का।
मैं हृदय तल से बहुत-बहुत आभारी हूं ।

मेरे शिक्षकों की निस्वार्थ ।
ज्ञान भरने का परिणाम ।
मेरे सम्मुख है,मैं आज ।
शिक्षक के पद पर ।
कार्यरत हूं ।

शिक्षा कहीं से किसी भी ।
क्षेत्र से जब तक जीवन है ।
मिलती ही रहती है,जिनसे ।
हमें शिक्षा मिलती है,वह सब।
हमारे शिक्षक ही होते हैं ।

प्रत्येक प्रकार का ज्ञान ।
प्रदान करने वाले ।
समस्त जन शिक्षा देने के ।
कारण शिक्षक ही कहलाएंगे ।
शिक्षक शिक्षा के माध्यम से ।
मानव जीवन को गुलाब,चंपा,
चमेली,चंदन सी सुगंध से ।
सुवासित करते निरंतर ।
शिक्षक हमें ज्ञान के अमूल्य ।

रत्नों से सुसज्जित करता है ।
अज्ञान तिमिर को दूर कर ।
ज्ञान प्रकाश से आलोकित करता।
हमें दिव्य ज्ञान चक्षु प्रदान कर ।
हमें नैतिक गुणों के भंडार से ।
हमें पावन बनाता ।

हमें निर्विकारी निरंहकारी ।
बनाने का सतत प्रयत्न ।
करता, सकल विश्व में ।
शिक्षक का सम्मान ।
सर्वोपरि है ।

परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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