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मैं एक गरीब किसान हूं

कालूराम अर्जुन सिंह अहिरवार
जगमेरी तह. बैरसिया (भोपाल)

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लघु कथा मैं एक गरीब किसान हूं
कहने को मैं अन्नदाता हूं
मेरे हृदय से पूछो मैं बहुत दुखी हूं
क्या तुम मेरी दर्द वेदना व्यथा को समझ पाओगे
कभी मुझ पर कुदरत का कहर बरस जाता है
कभी सरकार का
मुझे रोता देखकर क्या तुम मेरे
आंसू पहुंच पाओगे
मेरे दुख दर्द में मेरे साथ खड़े होकर मुझे दिलासा दोगे
मैं हूं ना यह कह कर मेरे साथ खड़ा रहोगे
पूरे साल मुझे काम बहुत रहते हैं
मेरे बूढ़े माता-पिता का देखभाल
मेरी जीवन संगिनी की देखभाल
मेरे नन्हे नन्हे छोटे-छोटे बच्चे हैं
साहब
मेरे बच्चे कुपोषित रहते हैं
मैं उन्हें दो वक्त का खाना नहीं खिला पाता
एक बच्चे के विकास के लिए जितना पोषण चाहिए
वह नहीं है मेरे पास
मेरे बच्चों को अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ा पाता हूं मैं
उनके स्कूल की फीस नहीं भर पाता हूं मैं
एक उम्र होती है बच्चों की पढ़ने लिखने की
उस उम्र में मेरे बच्चे
खेत में काम करने लग जाते हैं
सरकार मुझ पर ध्यान दो
मेरे कदम डगमगा रहे हैं
मेरा हौसला टूट रहा है
कुदरत का कहर नहीं आया
तो साल में दो बार मेरी फसल आती है
हर महा सैलरी नहीं मिलती है मुझे
मेरे देश की सरकार
मेरी दर्द वेदना व्यथा को समझो
मैं लाचार बहुत हूं मेरी बात को समझो
आज भी कच्चा घर हैमेरा
आज ही मेरे पास कार नहीं है साहब
मैं कल भी गरीब था
मैं आज भी गरीब हूं
शहर से दूर गांव में रहने वाले
एक गरीब किसान की आवाज हूं
मैं एक गरीब किसान हूं

परिचय :- कालूराम अर्जुन सिंह अहिरवार
पिता : जालम सिंह अहिरवार
निवासी : ग्राम जगमेरी तह. बैरसिया जिला भोपाल
शिक्षा : एम.ए. हिंदी साहित्य शासकीय हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय भोपाल अध्ययनरत राष्ट्रीय सेवा योजना एन.एस.एस. स्वयंसेवक, सामाजिक कार्यकर्ता
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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