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अपने हिस्से की भूख

होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ हरियाणा
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परहित में जीना है बड़ा,
हित में जाता गला सूख,
दूसरे को नहीं दे सकता
अपने हिस्से आई भूख।

भूख सभी को लगती है,
जिसने जन्म यहां लिया,
पर भूख खत्म हो जाये,
भलाई नामक रस पिया।

कैसी विडंबना इस जग,
शांत नहीं हो जन भूख,
हड़प लेते हैं निर्धन का,
उल्टे सीधे रखता रसूख।

निज भूख जो कम माने,
दूसरे की भूख माने अति,
पुण्य कर्म में जीवन बीते,
जग में हो उसकी सद्गति।

गरीब को भूख लगती है,
कोई पूछता नहीं है हाल,
कितने निर्धन चले गये हैं,
जग से काल के ही गाल।

खाने की भूख नहीं लगे,
धन दौलत पर यूं मरते हैं,
अमीर लोग बात अजब,
भोजन खाने से डरते हैं।

भूख के रूप अनेकों होते,
बिन भूख के मिलते कम,
भूख देखते गरीब जन की,
आँखें खुद हो जाती नम।

नहीं मिट सकती इस जहां,
भूख अजब निराली होती,
कुछ को रोटी भूख सताये,
कुछ को भूख हो हीरे मोती।

नहीं बाट सकता कोई यहां,
निज हिस्से की कहते भूख,
कभी थोड़ी कभी ये ज्यादा,
मिट जाती खाकर रोटी टूक।

किस्मत सभी की अपनी है,
लेकर आते कितनी ही भूख,
गरीब जन हाथ पैर मार रहा,
गर्म पानी पीये मारकर फूक।

आओ मिटा दे इस जहां से,
भूख का नहीं रहे कोई नाम,
शुभ संदेश फैला दो जन को,
सुंदर जग कोई कर दो काम।।

परिचय :- होशियार सिंह यादव
जन्म : कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा
पिता : स्व. श्री जयनारायण (कवि) एवं गोपालक देहांत १९८९
मां : स्व. मिश्री देवी गृहणि देहांत २०१६
निवासी : महेंद्रगढ़ हरियाणा
शिक्षा : पीएच. डी. (जारी) एम. एससी (बायो एवं आईटी), एम.ए. (हिंदी, अंग्रेजी एवं राजनीति शास्त्र), एमसीए, एम. एड., पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर, पी जी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एवं मास कम्यूनिकेशन, पी जी डिप्लोमा इन गांधियन स्टडिज, गोल्ड मेडलिस्ट पंजाब वि.वि.।
रचनाएं : अब तक विभिन्न विषयों पर २४ पुस्तकें प्रकाशित। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में शोधपत्र प्रकाशित, विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में कहानी, लेख, मुक्तक, क्षणिकाएं, प्रेरक प्रसंग, कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं।
हरियाणा साहित्य अकादमी से अनुमोदित पुस्तकों में : आवाज, बाल कहानियां, उपयोगी पेड़ पौधे, शिक्षा एक गहना
व्यवसाय : लेखक, पत्रकार एवं शिक्षण कार्य में श्रेष्ठता।
सम्मान : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा कहानी लेखन में प्रथम पुरस्कार सहित पांच दर्जन सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित। महेंद्रगढ़ न्यायाधीश द्वारा रजत पदक से सम्मानित। अरुंधती वशिष्ठ अनुंसधान पीठ द्वारा देशभर से आयोजित निबंध लेखन में एक्सीलेंस अवार्ड। हरियाणा के राज्यपाल से पुरस्कृत। तीन शोध भी प्रकाशित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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