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भूख

मईनुदीन कोहरी
बीकानेर (राजस्थान)

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भूख नहीं होती तो
प्रगति भी नहीं होती
पाषाण युग से लेकर
अंतरिक्ष तक की
यात्रा भी नहीं होती।

तन-मन-धन की भूख
सुख-चैन छीन लेती है
राज की भूख पागल बना देती है
भूख अदना से आला
आला से अदना बना देती है।

भूख आदमी की कमजोरी है
भूख आदमी की आशा है
भूख से पाप, अनाचार
व भृष्टाचार बढ़ता है
भूख धर्मात्मा को पापी बना देती है।

भूख तो भूख ही है
भूख सुख-सुख का संसार है
भूख ऋषि मुनियों का
ईमान डगमगा देती है।
भूख से इंसान घर से बेघर
दर-दर की ठोकरें खाए
भूख इंसान को शैतान बनाए
भूख इंसान को भगवान से
मिलने की राह ले जाए।

भूख न होती तो
ये जीव-जगत
ये सृष्टि भी न होती
भूख इंसान की फितरत में है
भूख से भीख-भोजन-भोग का रिश्ता है।

मान-सम्मान-यश की भूख
इंसान को याचक बनाती है
जन्म से मृत्यु तक भूख
भूख अंधी होती है
भूख इंसान को भी अंधा बना देती है
भूख तो भूख है।

परिचय : मईनुदीन कोहरी
उपनाम : नाचीज बीकानेरी
निवासी – बीकानेर राजस्थान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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