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इंसानियत

प्रियंका पाराशर
भीलवाडा (राजस्थान)

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सब रिश्तो से ऊँचा हैं एक रिश्ता
जिसकी पहचान है मानवता
हर रिश्ते के अस्तित्व में
जरूरी है इंसानियत
अन्यथा, स्वार्थ के अंधेपन में
हावी है हैवानियत
स्वनिर्मित कायदे कानून के लिए
देते हैं नामी रिश्तो के
ओहदे का वास्ता
अंधविश्वासी बन
नियमों की पालना के लिए
औरत ही औरत की शत्रु बन
भूल जाती इंसानियत का रास्ता
कुछ पाने की लालसा में
तो खूब हो रहा दान धर्म
परंतु अपनो के प्रति
भेदभाव, अहंकार की भावना
बड़े पद की आड में
छोटो को दे प्रताड़ना
नैतिक अनैतिक नजर अंदाज कर
भूला रहे मानव धर्म
हर घर में नाम है
और नामो के साथ है पद
परंतु इंसानियत के आगे
सबका लगता है तुच्छ कद
चाहे कितने ही संस्कारो का
ओढ लो आवरण
मानव है अगर तो मानवीय हो आचरण
संबंध निभाने मे नहीं होगी जटिलता
जब हर दिल में बसेगी मानवता

परिचय :- प्रियंका पाराशर
शिक्षा : एम.एस.सी (सूचना प्रौद्योगिकी)
पिता : राजेन्द्र पाराशर
पति : पंकज पाराशर
निवासी : भीलवाडा (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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