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डॉ. ओम प्रकाश चौधरी
वाराणसी, काशी
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विगत कई महीनों से हम सभी प्रायः घरों में ही कैद हैं अत्यंत आवश्यक होने पर ही घरों से बाहर निकल रहे हैं। आफिस का काम घर से ही ‘वर्क फ्रॉम होम’ कर रहे हैं। लोगों से मिलना-जुलना, चौराहे, चट्टी, हाट-बाजार में जाना न के बराबर हो गया है। सुख-दुःख बांटने का अवसर अब केवल संचार माध्यम से हो रहा है। जियनी-मरनी, शादी-विवाह में शामिल होना दूर की बात हो गयी है। मुहल्ले,कॉलोनी में कोई कोरोना पॉजिटिव हो गया तो ‘हॉट स्पॉट’होते ही बांस-बल्ली से घिरकर घरों में रहने को अभिशप्त। ये सभी हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। वास्तव में जो ‘सोशल दिस्टैंडिंग’की बात की जा रही है, वह लोगों से आपस में भौतिक दूरी बनाए रखने की अपील है ताकि एक दूसरे को संक्रमित होने से बचाया जा सके।लोग घरों में रहने के लिए बाध्य हैं। प्रतिदिन अट्ठाईस हजार से भी अधिक लोग संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में लोगों में घबराहट, चिन्ता, बेचैनी,तनाव व अवसाद बढ़ा है। लोगों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है। एक अध्ययन के मुताबिक लोगों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों में इजाफा हुआ है। लोगों की मनोदशा में परिवर्तन, भ्रम, भय और यहां तक कि आत्महत्या की प्रवृत्ति में वृद्धि हुई है। इधर ऐसी घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है। कोरोना से कब छुटकारा मिलेगा कोई ठीक नहीं, अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। मानसिक रोगियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। ऐसे मानसिक रूप से स्वस्थ बने रहने की एक बड़ी चुनौती हमारे सामने है। हमें शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए:-
१. कोरोना के संबंध में हमारे पास पर्याप्त जानकारी है, अनावश्यक जानकारी एकत्र करने, टी वी पर संबंधित न्यूज की अधिकता से बचना चाहिए। दूसरी घटनाओं एवं विचारों का आदान-प्रदान करें।
२. अपनी दिनचर्या सुनिश्चित करें।कोशिस करें कि अधिकतर समय अपने कार्यो, अध्ययन आदि में व्यस्त रहें।
३. अपनी रुचि का कार्य करें,शौक पूरा करें, जिसे आप करना चाह रहे थे लेकिन समयाभाव के कारण नहीं कर पाए थे। संगीत का आनंद लें, मनोरंजक कार्यक्रम देखें।
४. यदि आपके घर में थोड़ी भी जगह हो तो बागवानी जरूर करें। पेड़-पौधों में खाद-पानी दें,उसकी निराई-गुड़ाई करें। यदि खाली जगह न हो तो गमलों में ही पौधे लगाएं। तुलसी के औषधीय गुण से सभी परिचित हैं, तुलसी का एक पौधा घर में जरूर लगाएं।
५. नित्य टहलने, साईकल चलाने जाय, योग-प्राणायाम करें, ध्यान करें। अनेक शोध परिणामों से इस तथ्य की पुष्टि हुई है कि योग एवं ध्यान से मानसिक समस्याओं के निराकरण में सकारात्मक भूमिका होती है।
६. बच्चों व परिवार के साथ रहने का पर्याप्त समय व सुअवसर मिला है, उसका उपयोग करें, उनके साथ कोई खेल जो छोटी जगह या घर में आसानी से खेल जा सके उसे खेलें। बातचीत करें अपनी विरासत, धरोहर, रीति-रिवाज व परंपराओं से परिचित कराते हुए अपनी संस्कृति व नैतिक आचरण का भी ज्ञान कराएं।
७. अपने आहार-विहार पर विशेष ध्यान दें, रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। आयुर्वेदिक काढ़े का प्रयोग भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
८. तनाव व दबाव की स्थिति में भी अपना संतुलन बनाये रखें। अपने इष्ट-मित्रों के संपर्क में बराबर बने रहें। संयम व धैर्य से काम लें।यह संकट भी टल जाएगा, ऐसी सोच हमेशा बनाएं रखे।
९. सकारात्मक सोच आवश्यक है, जो हमें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाकर किसी भी स्थिति या वायरस से लड़ने में सक्षम बनाती है।
१०. अपने अंदर दृढ़ विश्वास रखिये की हम होंगे कामयाब एकदिन, आत्मविश्वास किसी भी मुश्किल को आसान बना देती है, और हमारी क्षमता को बढ़ा देती है।
शारीरिक दूरी बनाए रहते हुए, अपने मित्रों, सगे-संबंधियों से संवाद व मानसिक निकटता बनाये रखें, अपना ख्याल रखते हुए एक दूसरे का ख्याल रखने का प्रयास करें, समझदारी और साझेदारी जरूरी है। स्वच्छता व सफाई पर विशेष ध्यान और सावधानी बरतते हुये, सरकार के निर्देशों का अनुपालन करते हुए हम कोरोना जैसी महामारी को हरा सकते हैं।
परिचय :- डॉ. ओम प्रकाश चौधरी
निवासी : वाराणसी, काशी
शिक्षा : एम ए; पी एच डी (मनोविज्ञान)
सम्प्रति : एसोसिएट प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग श्री अग्रसेन कन्या स्वायत्तशासी पी जी कॉलेज
लेखन व प्रकाशन : कुछ आलेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में प्रकाशित,आकाशवाणी से भी वार्ता प्रसारित।
शोध प्रबंध, भारतीय समाज विज्ञान अनुसंधान परिषद दिल्ली के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित। शोध पत्र का समय समय पर प्रकाशन, एवम पुस्तकों में पाठ लेखन सहित ३ पुस्तकें प्रकाशित।
पर्यावरण में विशेषकर वृक्षारोपण में रुचि।
गाँधी पीस फाउंडेशन, नेपाल से ‘पर्यावरण योद्धा सम्मान’ प्राप्त।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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