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कैसे तुझे शब्दों में बांधू

रचयिता : संगीता केस्वानी

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कैसे तुझे शब्दों में बांधू

मां मैं कैसे तुझे शब्दों में बांधू,
कैसे तेरा गुणगान करूं,
कि शब्द बहुत छोटे है,
पर भाव बहुत बड़ा है।

तप्ती, तीखी धूप में शीतल सी छांव है तू,
ठीठूरती सी सर्दी में गुनगुनी सी धूप है तू,
प्रेम का अनूठा रूप है तू
मैं कैसे तुझे शब्दों में बांधू कैसे तेरा गुणगान करूं…….

स्नेह तेरा अमूल्य है त्याग तेरा अतुल्य है,
देवता भी अवतरित हुए
पाने को तेरा वात्सल्य
मैं कैसे तुझे शब्दों में बांधू कैसे तेरा गुणगान करूं……

कहां से लाऊं इतना त्याग तुझसा अनूठा अनुराग,
सांसे भी कर दूं अर्पण पर छूं ना पाऊं तेरा समर्पण,
मैं कैसे तुझे शब्दों में बांधू कैसे तेरा गुणगान करूं…….

मुझ निराकार को तूने किया साकार
इतने ऊंचे तेरे संस्कार इतने अनकहे उपकार
मैं कैसे व्यक्त आभार करूं
मैं कैसे तुझे शब्दों में बांधू कैसे तेरा गुणगान करूं।।।

लेखिका परिचय :- संगीता केस्वानी

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