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गृहणि

धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)

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बढ़ गया है बोझ उस पर
देहरी पर जो खींच दी है
लक्ष्मण रेखा।
घर के भीतर कोई नही आता
घर के भीतर कोई नही जाता
उसे ही रखना है सारे काम का
लेखा जोखा।
घर का फर्श, फर्नीचर जब
चमक उठते है।
आवाज़ देते है किचन में रखे
बर्तन।
बर्तनों की चीख पुकार
बंद होते ही।
वाशिंग मशीन में कैद
कपड़े फुसफुसाने लगते है।
कर उनकी धुलाई
टंग जाते है वे रस्सियों पर
करते है हवा से अठखेलियाँ
एक गहरी सांस खींच भी
पाती है की।
गमले में उगा मोगरा,
गुलाब, निशिगन्ध
उसे याचक की नज़रों से
देखते है।
दे कर पानी गमलों में
जैसे ही पोछती है वो
स्वेद कण जो दव बिंदुओं के
समान उसके माथे पर
मोतियों से उभर आए है।
तभी उसके कानों में
पड़ती है मेरी आवाज
कुछ तो काम किया करो
मुझे अभी तक
चाय नही मिली।

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परिचय :-
नाम : धैर्यशील येवले
जन्म : ३१ अगस्त १९६३
शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से
सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ।
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिंदी रक्षक २०२० सम्मान


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