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बाल काव्य के अंतर्गत प्रस्तुत हैं कुण्डलियाँ छंद सर्जन

रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’
लखनऊ
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उठ कर देखो लाडले! आसमान की ओर।
पक्षी कलरव कर रहे, खिली सुहानी भोर।।
खिली सुहानी भोर, लालिमा नभ में छाई।
अरुण रश्मियाँ साथ, उषा है लेकर आई।।
अब तो रख दो पाँव, सहारे से वसुधा पर।
रजनी बीती तात, लाडले देखो उठ कर।।

होती है हर हाल में, मस्ती खूब धमाल।
बाबा घोडा़ बन गए, चुन्नू करे कमाल।।
चुन्नू करे कमाल, फटाफट चले सवारी।
टिक-टिक की आवाज, कभी है चाबुक मारी।।
मात- पिता को छोड़, खेलते दादा-पोती।
दादी भी खुशहाल, देखकर उनको होती।।

खाते हलुवा खीर जब, बचपन में हम साथ।
रहे खुशी से झूमते, लिए हाथ में हाथ।।
लिए हाथ में हाथ, दुलारें माता हमको।
भर-भर कर आशीष, सदा देतीं वह सबको।।
नाचें कूदें और, पिता से पैसे पाते।
जाते फिर बाजार, वहाँ पर लड्डू खाते।।

खाते हैं चुन्नू सदा, पूड़ी और पनीर।
नहीं मिले उनको अगर, खो देते हैं धीर।।
खो देते हैं धीर, धरा पर लोटे जाएँ।
घरवाले हैरान, उन्हें कैसे समझाएँ।।
क्या वे करें उपाय, मान जो चुन्नू जाते।
सेहत की सुन बात, हरी वे सब्जी खाते।।

छुक-छुक छुक-छुक चल पड़ी, सब बच्चों की रेल।
धक्का-मुक्की हो रहा, धमाचौकड़ी खेल।।
धमाचौकड़ी खेल, अजब-सी बजती सीटी।
चुन्नू-मुन्नू संग, खेलतीं मुन्नी-स्वीटी।।
चलती थोड़ी तेज, कभी चलती वह रुक-रुक।
सबको भाती खूब, चले जब गाड़ी छुक-छुक।।

घर में बैठे ऊबते, हम बच्चे शैतान।
खो- खो खेलेंगे सभी, चलो चलें मैदान।।
चलो चलें मैदान, पकड़ लें सबको हम सब।
नहीं किसी से बैर, नहीं है कोई कम अब।।
जाति-पाति है झूठ, सभी से रहना मिल कर।
यही सिखाती मात, कहें वसुधा ही है घर।।

परिचय : रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’
उपनाम :- ‘चंद्रिका’
पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता
माता :- श्रीमती रामदुलारी गुप्ता
पति :- श्री संजय गुप्ता
जन्मतिथि व निवास स्थान :- १६ जुलाई १९६७, तहज़ीब व नवाबों का शहर लखनऊ की सरज़मीं
शिक्षा :- एम.ए.- (राजनीति शास्त्र) बीएड
व्यवसाय :- गृहणी
प्रकाशन :- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. के  hindirakshak.com पर रचना प्रकाशन के साथ ही कतिपय पत्रिकाओं में कुछ रचनाओं का प्रकाशन हुआ है
सम्मान :- समूहों द्वारा विजेता घोषित किया जाता रहा है। दो बार नागरिक अभिनंदन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मंचों पर काव्य-पाठ व लघुकथा का पाठन करती रहती हूँ। सांस्कृतिक एवं सामाजिक योगदान हेतु सम्मान-पत्र प्रदान किया गया है। विद्यालय के समय भी अनेक पुरस्कार मिले हैं।
रचना की विधा :- अधिकतर दोहा सृजन, छंदमुक्त कविताएँ, मुक्तक, दोहा, गजल, छंद, हाइकु दोहा, गीत, गीतिका, लघुकथा, संस्मरण आदि।
घोषणा पत्र :- मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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