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होलिका और भक्त प्रहलाद

अलका गुप्ता ‘प्रियदर्शिनी’
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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राक्षस राज हिरण्यकश्यप और उसकी पत्नी कयाधु प्रहलाद के जन्म से बहुत खुश थे। परन्तु प्रहलाद की भक्ति देख हिरण्यकश्यप बहुत परेशान रहने लगा। भक्त पहलाद के जन्म लेते ही वह भक्ति के सागर में गोते लगाने लगा और जब यह बात उसके पिता राक्षस राज हिरणयकश्यप को पता लगी। तो उसने अपने पुत्र को कई प्रकार से समझाने का प्रयास किया। कि वह भगवान विष्णु की भक्ति करना छोड़ दें, क्योंकि हिरण कश्यप भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानता था। और बदले की भावना में जलता रहता था।क्योंकि भगवान विष्णु ने उसके भाई हिरण्याक्ष का वध किया था। लाख प्रयास करने के बाद भी भक्त प्रहलाद ने भगवान विष्णु की उपासना करना नहीं छोड़ा। अंततः हिरण्यकश्यप ने हार मान कर भक्त पहलाद को मारने का निश्चय कर लिया। और उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली।ज्ञहिरणयकश्यप की बहन होलिका एक दुष्ट प्रकृति की राक्षसी नारी थी। उसे भगवान शंकर जी के द्वारा एक चादर प्राप्त हुई थी। जिसे ओढ़कर वह आग में बैठ जाती थी और आग उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाती थी।
इसी वरदान का फायदा उठाकर वह भक्त पहलाद को जलाने के लिए प्रहलाद को साथ लेकर आग में बैठ गई। किंतु होलिका के ऊपर से वह वरदानी चादर उड़कर भक्त पहलाद पर जा गिरी। और होलिका जलकर राख हो गई तथा भक्त पहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ।
इस प्रकार से होलिका और हिरण कश्यप के गलत मंसूबों पर पानी फिर गया और हिरणयकश्यप अपनी बहन होलिका को खो बैठा। और उसी दिन से यह होली का त्योहार हर वर्ष मनाया जाने लगा। इसी उपलक्ष्य में बुराई पर सच्चाई की जीत के रूप में होलिका दहन किया जाता है और होली का त्योहार मनाया जाता है। सभी प्यार से गले मिलते हैं और एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाते हैं।

परिचय :- अलका गुप्ता ‘प्रियदर्शिनी’
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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