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हिंदी मेरा अभिमान

डॉ. बीना सिंह “रागी”
दुर्ग छत्तीसगढ़

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हिंदी मेरा प्यार है हिंदी मेरा अभिमान
हिंदी मेरा व्यवहार है हिंदी स्वाभिमान

हिंदी सरल सहज और मीठी जुबान है
लोगों को फिरअंग्रेजी पर क्यों है गुमान

हिंदी है मेरे माथे की बिंदी है मेरा श्रृंगार
हिंदी मेरे सभ्यता संस्कृति की है पहचान

भाषा में प्रख्यात और विख्यात है हिंदी
क्यों जूझ रही है पाने को अपना स्थान

हिंदी सुर है सरगम है संगीत है ताल है
हिंदी से ही मेरा हिंद और मेरा हिंदुस्तान

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परिचय :-  डॉ. बीना सिंह “रागी”
निवास : दुर्ग छत्तीसगढ़
कार्य : चिकित्सा
रुचि : लेखन कथा लघु कथा गीत ग़ज़ल तात्कालिक परिस्थिति पर वार्ता चर्चा परिचर्चा लोगों से भाईचारा रखना सामाजिक कार्य में सहयोग देना वृद्धाश्रम अनाथ आश्रम में निशुल्क सेवा विकलांग जोड़ियों का विवाह कराना
उपलब्धि : विभिन्न संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मान द्वारा सम्मानित टीवी चैनल में समय-समय पर कविता पाठ का प्रसारण अखिल भारतीय मंच में प्रस्तुति कई साझा संकलन और पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित


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