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हिंदी हमारी

मनोरमा जोशी
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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हिंदी हमारी संस्कृति की घरोहर है हमारे संस्कार की सहज भाषा हिंदी ही है इसे हर हाल मे श्रेष्ठता का दर्जा मिलना चाहिए हिंदी राष्ट्रीय भाषा होना चाहिए। हमारे आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह भारतेंन्दु हरिश्चंद्र जी ने प्रथम दोहा लिखा था।

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल,
पै निज भाषा ज्ञान बिन, मिटे न हिय को शूल।

हमारी मात्र भाषा हिंदी का मान होना चाहिए, हिंदी भाषा हमारी वंदेमातरम की शान है,
देश का मान है अभिमान है और सब भाषा से सरल सहज है। हमारे संविधान का गौरव भी हिंदी है भारत की आत्मा चेतना हिंदी है फिर क्यु? न हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी होना चाहिए आदर्शों की मिसाल है सूर और मीरा बाई की तान भी हिंदी है हमारे वक्ताओं की शक्ति
हिंदी है फूलों की खुशबूओं सी महकती हमारी हिंदी है। मां की बोली से प्रथम संवेदना मे बच्चा माँ कहता है वह है हिंदी कितना प्यारी भाषा हमारी है इसे हम हर हाल मे हम राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिलना चाहिए। हमारी संस्कृति को विदेशी लोग अपना रहें है संस्कृत श्लोक मंत्र सब वह हमारे सीख कर गा रहें है छोटे-छोटे बच्चों को सिखा रहें है टीवी पर हमनें देखा है वह हमारे पहनावे को भी अपना रहे है और हम अपनी मात्र भाषा को छोड़ उनकी भाषा को महत्व दे रहे है उनकी वेषभूषा को बढा़वा दे रहे है। हम चाहेगें हिंदी का सम्मान हो हिंदी भाषा राष्ट्रीय भाषा महान हो। इसके लिये हमको अधिक से अधिक प्रयास करना चाहिए और मुझे आशा नहीं पूर्ण विश्वास है हमारी हिंदी भाषा को राष्ट्रीय दर्जा मिलेगा।

परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा – स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र – सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक, मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है। कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) व एक काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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