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अरे कब समझेंगे ये लोग

भारत भूषण पाठक
धौनी (झारखंड)

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अरे कब समझेंगे ये लोग।
क्यों जानकर हैं लगवा रहे
ये अपना काल को भोग।।
जब भी अखबार खोली जाती है।
एक न एक मौत की खबर दिख जाती है।।
मानता हूँ होना है सो होना है ।
पर थोड़ा तो अपना
रक्षा का सोचना है।
मुझको है ये नहीं समझ आता।
है हेलमेट पहनने से इनका
क्या है चला जाता।।
आखिर क्यों नहीं समझते ये लोग।
घर पर इन्तजार कर रहा है कोई इनका।
एक छोटी सी भूल।
और बिखर जाता है सब कुछ
बनके तिनका -तिनका।
क्या कर लेते हैं ये लोग।
इतनी तेज रफ्तार का लगाकर यूँ रोग।।
अन्त में क्या कहा जा सकता है इनसे।
यूँ जान गँवाना है।
तो जाकर सरहद पे गँवाओ।
अब ऐसे माँ बाप को न तरशाओ।।
वैसे जाओगे तो गर्व होगा
देश को तुम पर।
ऐसे जाओगे तो।
सोचेंगे लोग पल भर।।
माँ बाप ने बड़े प्यार से है पाला।
मत बनो यों मतवाला।
कितनी बार बताएंगे तुमको।
हेलमेट पहनने पुलिस कहती है।
सुरक्षित करने को तुमको।।
अरे पुलिस को छोड़ो यारों।
माँ बाप का सोचो प्यारों।।
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लेखक परिचय :- 
नाम – भारत भूषण पाठक
लेखनी नाम – तुच्छ कवि ‘भारत ‘
निवासी – ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड)
कार्यक्षेत्र – आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक
योग्यता – बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है।
काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास – साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में।

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