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दिल आईना

मित्रा शर्मा
महू – इंदौर

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दिल के आइने से देखा
तू रकीब बन पड़ा है,
उजाड़कर घरौंदा किसी का,
सुकून पा रहा है।

दिल न था तो पत्थर ही सही
पिघला-पिघला सा था,
तुम्हारी बेपरवाही से
तनहा-तनहा सा था।

हजारों जख्म देकर
तुम इजाद थे,
मरहम के इंतजार में
हम बेकरार थे।

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परिचय : मित्रा शर्मा – महू (मूल निवासी नेपाल)


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