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मर्म

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रचयिता : भारत भूषण पाठक

मृत्यु शय्या पर लेटी।
है  करूणा की गाथा।।
कहती वो मनुज-मनुज से।
निर्मोही निर्मम से
कर दो दया अब मुझपर।
मेरे बहते इन अश्रुपर।।
थी जब जीवन से पूरण।
है मुझको वो सब स्मरण।।
रहती थी घर में अपने।
थे कितने मेरे सपने।।
बिखर गए वो सपने।
जैसे फँसता कोई है मधुकर।
पीते हुए जब वो पुष्परस।।
मृत्यु शय्या पर लेटी।
है करूणा की गाथा।।
कभी मैं थी मासूम सी गुड़िया।
अपने बाबुल की चिड़िया।।
रहती थी मस्त मलंग में।
हो कर बाबुल के संग में।।
है तुमने जब से तोड़ा।
मेरा अस्तित्व झिंझोड़ा।।
तब से प्राण विहीन में।
कर दो दया अब मुझ पर।
अब तो छिन्न-भिन्न में।
मृत्यु शय्या पर लेटी।
है करूणा की गाथा।।
लेखक परिचय :- 
नाम – भारत भूषण पाठक
लेखनी नाम – तुच्छ कवि ‘भारत ‘
निवासी – ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड)
कार्यक्षेत्र :- आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक
योग्यता – बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है।
काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास :- साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में।

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