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हीलिंग से स्वस्थता

डॉ. सुरेखा भारती

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हीलिंग से स्वस्थता, अपनी और दूसरों की …
आज के व्यस्ततम जीवन में व्यक्ति अनेक तनावों से घिरा हुआ है। वह अपने मन की शांति चाहता है। शांति व्यक्ति को प्राप्त होती है, उसके आध्यात्मिक विचारों से। इसके अलावा ऐसी कोई वस्तु या विचार नहीं हैं जिससे उसे चिर शांति का अनुभव हो। मन का सुख व्यक्ति प्राप्त करता है और थोडे समय बाद वह पुनः बैचेन हो उठता है, फिर वह विचलित, अस्थिर मन के कहने पर चलता है। कभी दुःखी होता है तो कभी सुखी होता है। जीवन का अधिक से अधिक समय वह इसी उधेडबुन में नष्ट करता है कि कहीं चिर शांति प्राप्त हो। बीमार होने पर अनेक औषधियों के सेवन से भी वह दुःखी होता है। तब वैकल्पिक चिकित्सा ढूंढता है। आज वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों में हीलिंग पद्धति स्वयं को स्वस्थ्य, उर्जावान रखने के लिए बहुत कारगार सिद्ध हो रहीे है।
हीलिंग के बारे में यदि कुछ कहते हैं तो वह शब्दों में कहना या समझना बहुत ही कठिन है। हीलिंग पद्धति अनुभव करने की पद्धति है। जो हीलिंग करता है उसे भी और जो हीलिंग ले रहा है उसे भी। समग्र ब्रह्माण्ड ऊर्जा से ही बना है। मनुष्य में अनेक प्रकार के सुख दुःख की ऊर्जा होती है। लेकिन वह आँखों से देखी नहीं जा सकती, वह अनुभव की जा सकती है। सुख के लिए सकरात्मक ऊर्जा होती है। यह जितनी अधिक होती है उतना ही व्यक्तिा को उससे फायदा होता हैं, उसे सुख मिलता है। उसी प्रकार दुःख का कारण नकारात्मक ऊर्जा होती है। इस ऊर्जा से व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है।
नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है। हीलिंग एक ऐसी ही प्रक्रिया है जो नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मकता में परिवर्तित कर देती है। साथ ही सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती है। संपूर्ण जाग्रत अवस्था में रोज हीलिंग करने से आत्मा की शुद्धि होती है। हीलिंग भक्ति का, प्रार्थना एक प्रकार है। मनुष्य ऊर्जा का एक स्वरुप हेै। जो हमें बाहर दिखाई दे रहा है या जिसे हम एक शरीर के रुप में देखते हैं। जिस शरीर को हम देख रहें हेैं वह शरीर भी किसी अज्ञात ऊर्जा से चल रहा है। स्थूल शरीर के अन्दर एक सूक्ष्म शरीर कार्य करता है। यह बात आज वैज्ञानिकों ने भी मान ली है। हीलिंग का कार्य क्षेत्र यही सूक्ष्म शरीर है।
हीलिंग अपनी नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है, जिससे दुःख की स्थिति को हम आनंद में बदल सकते हैं । साथ ही हम अपनी चैतन्यता को दिव्यता की ओर ले जा सकते हैं। हमारे भीतर मानवीयता का विस्तार होता है। हृदय और मन विशाल होता है। दिव्य शक्ति बढ़ने से हमारी स्मरण शक्ति, निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। सकारात्मक ऊर्जा शरीर को शुद्धता और चैतन्यता प्रदान करती है। हीलिंग से मानसिक शांति प्राप्त होती है और हम विश्व की चैतन्य शक्ति से जुडते हैं।

हीलिंग से दूसरों की सहायता कैसे करें …
यदि कोई व्यक्ति अस्वस्थ है तो अपनी ऊर्जा को उसके भीतर ले जा सकते हैं, जहाँ उसके शरीर का कोई हिस्सा रोग ग्रस्त हो। अपनी ऊर्जा को उस अवयव में स्थापित कर हम एक अस्वस्थ्य व्यक्ति को स्वस्थ कर सकते हैं। अपनी सकारात्मक ऊर्जा को उसके भीतर स्थापित कर के रोग को या उसकी कोई अन्य समस्या को बाहर निकालना ही हीलिंग है। दिव्य ऊर्जा सब के भीतर है उस ऊर्जा को प्रवाहित करने का एक उद्देश्य सामने होना चाहिए। जैसे ही व्यक्ति को कोई उद्देश्य मिल जाता है तो ऊर्जा का प्रवाह उसी दिशा में प्रवाहित होने लगता है।
स्वयं की हीलिंग से आप अपने अनेक कार्य सिद्ध कर सकते हैं। हीलिंग की ऊर्जा गुरु (मास्टर) प्रवाहित करता है। वह अपने को दरवाजे का ताला खोलने के लिए चाबी देता है। दरवाजा खोलने के पश्चात हम उस ऊर्जा को कितना प्राप्त कर पाते हैं, यह हमारी क्षमता पर निर्भर करता है। हम उस ऊर्जा का अधिक से अधिक उपयोग कर एक प्रभावी मानसिक हीलर बन सकते हैं। अपने मानस चल चित्र का उपयोग हम अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए भी कर सकते हैं। ध्यान की प्रारंभिक अवस्था में भी मानस चल चित्रों के माध्यमसे इसके अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
बहुदा हम अपने जीवनचर्या में संभावना शब्द का प्रयोग करते हैं। यह संभावना न होकर घटने वाली घटना ही है। बहुत बार स्थिरता के प्रभाव से ही हमें मानसिक स्तर पर प्रभावी परिणाम प्राप्त होते हैं। यदि आप सिक्स सेंस के अभ्यास मेें सिद्ध हस्त है तो आप किसी जरूरत मंद व्यक्ति को सायकिक हीलिंग कर सकते हैं। यह सेवा आपकी अमूल्य सेवा होगी। हीलिंग में परा शक्तिपर विश्वास रखना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।

हीलिंग में मानस चित्र बहुत ही लाभप्रद होते हैं…
मानस पटल के चित्रों पर हम जितना अधिक ध्यान केन्द्रित करेंगे उतने अधिक परिणाम हमें प्राप्त होते हैं। हीलिंग में भावनाओं का अधिक महत्व होता है। खास कर प्रेम भावनाओं का। प्रेम भाव में अद्भूत शक्ति होती है। इस भाव के साथ सारे हमारे गुण विद्यमान रहते हैं, इसलिए हीलिंग करते समय अपनी भावनाओं का शुद्ध रखना आवश्यक है।
मैंने सीखा था कि मन शक्ति की ऊर्जा प्रभावी रुप से रुपांतरित होती है। अपने मानस पटल पर जा कर हीलिंग करने के बजाए यह सोचना की, घटना घटित हो चुकी है। यदि किसी बीमार व्यक्ति को हीलिंग करनी है तो, अपने मानस पटल पर उसका चित्र लाकर यह भाव द्दढ पूर्वक लाना हेै कि वह व्यक्ति पूरी तरह से ठीक हो गया है। उस समय मेरे मस्तिष्क में यह घटना वर्तमान स्थिति को लेकर होगी। जैसे कि अभी रोगी किस हालत में है? पहले वह रोगी व्यक्ति, उसका चित्र मानस पटल पर लेकर आओ, फिर उसे बहुत सावधानी से आगे की ओर सरका कर उसे पूर्ण रुप से स्वस्थ देखो। इसका अभ्यास करो।

मानस प्रतिमा स्पष्ट कैसे दिखाई देगी….
(१) जिस व्यक्ति को हीलिंग करनी है। उसके बारे में जानकारी लेना आवश्यक होता है। यदि नहीं मिले तो अपने मन को उसके मन से जोडकर अपने विचारों को उस तक पहुंचाना चाहिए। इसके लिए स्वयं को विचारों से रिक्त करना होता है।
(२) आपको ध्यान में जाना है और जिस अस्वस्थ व्यक्ति को आप हीलिंग कर रहे हो, उसका मानस चित्र अपने सामने लाना है। उसकी जो भी पीड़ा है, समस्या है उसे बायी और लेकर जाना है वहाँ जाकर उसे निर्देश देना है। यदि आप उससे नहीं मिले तो भी अपने मानस धरातल पर उसका चित्र रखकर अपने मन को संकल्पित करना है। अपनी दृढ़ कल्पना शक्ति से उसे मानस पटल पर स्थिर करने पर आपको आशातीत परिणाम प्राप्त होंगे।
(३) अब अपने मानस पटल पर देखो, जिसे आपने हीलिंग दी है, वह व्यक्ति स्वस्थ्य और संपूर्ण ऊर्जा से भरा हुआ है। अपने गहरे ध्यान में जाकर आपने जो बोला है, जो सोचा है वही होगा। वैसे यह क्षण बहुत कठिन होता है। इसमें दृढ़ संकल्प की भी आवश्यकता होती है। जिससे मानस पटल पर प्रतिमा में आपको एकदम सत्य की अनुभूति हो। यह सत्य ही है, सत्य ही होगा, यह विचार दृढ़ता पूर्वक आपको लाना है। यह आपको अल्फा लेवल और बीटा लेवल पर भी सत्य करना है। बीटा लेवल पर लाने पर आप और अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। कल्पना और दृढ़ संकल्प के आधार पर ही आप जो चाहते हो वह प्राप्त होगा।
इस ब्रह्माण्ड के नियमानुसार ऊर्जा का स्त्रोत हमारे लिए खुला है। इसलिए जो चाहते हो उसकी कल्पना करो। उसे साकार करो। कुछ घटनाएं नियमानुसार घटित होती है। यह निश्चित है परंतु अपने आत्मविश्वास अपनी इच्छाएं भी इसके लिए आवश्यक है। अपनी कल्पना शक्ति से जिस व्यक्ति की स्वस्थ्यता के लिए कामना कर रहे हो, उसे स्वस्थ्य देखो। इस तरह का अभ्यास आप जितना अधिक करोगे उतने अधिक प्रभावशाली परिणाम प्राप्त होंगे। इसके लिए अपने बीटा लेवल से बाहर आकर १ से १० तक गिनना अधिक लाभकारी होगा। इससे आपको अल्फा ध्यान की अवस्था में शीघ्र जाते आएगा।

स्वयं की हीलिंग भी कर सकते हैं….
बहुत से हीलर की यह धारणा होती है कि वह केवल दूसरों को ही हीलिंग कर सकते हैं, स्वयं की नहीं। स्वयं की हीलिंग करने से उनकी ऊर्जा नष्ट हो जाएगी परंतु ऐसा नहीं हैै। अपनी समस्या को लेकर या अपने किसी रोग के लेकर आप अस्वस्थ्य अनुभव कर रहें हेैं तो अपने को भी हील कीजिए। हीलिंग के द्वारा विश्व शक्ति से जुडकर अपने को और दूसरों लाभाविंत कर सकते हैं। तो आइए आज से ही हीलिंग की प्रेक्टिस करते हैं।

परिचय :- डॉ. सुरेखा भारती
कवियत्री, लेखिका एवं योग, ध्यान प्रशिक्षक इंदौर 


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