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ज़मी पर लाया उसने

रवि चौहान
आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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ज़मी पर लाया उसने,
पकड़ ऊँगली
चलना सिखाया उसने!
कंधे पर बिठा,
सारा जहाँ दिखाया उसने!
चलता रहा
कांटो भरी राह पर,
फुलो की राह
पर चलाया उसने!
चुभे कांटे पैरो मे जब,
रोया मगर
आंसू नहीं बहाया उसने!
देख दर्द उसका
रो न दू मै,
अपने दर्द को
छुपाए उसने!
लड़ता रहा सारे जहाँ से,
मेरी खुशियों की खातिर,
खुद रो कर भी
मुझे हसाया उसने!
छोड़ अपने सपनो को,
मेरे सपनो को
अपनाया उसने!
गवा दिया जीवन
अपना मेरी खातिर,
मेरी कामयाबी में
खुद को
कामयाब पाया उसने!

परिचय :- रवि चौहान
निवासी : आजमगढ़ (शेखपूरा)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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