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अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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भार ज्यों धरा उठा रही पवित्र पातकी।
क्लेश ना ही द्वेष हिय समान भाव मातृ सी।
हो सशक्त नारी तो ना बंदिनी वो वंदनीय।
अवनि के आलोक से करे प्रभा आकाश की।।
बन कुमुद है शोभती जो दामनी सी कौंधती।
रोड़ो को स्वयं वधे वैधव्यता को बांधती।
कर दमन आडंबरों का शांत व्यंग्य रागिनी।
भेदभाव भस्म यूँ करे कोई दावाग्नि।।
निश्चयों को दृढ़ करे सुमार्ग पथ स्वयं वरे।
लक्ष्य पक्ष में करे वो दिव्यता को धारती।
तर्क भेदी शूल कुप्रथाएं सारी धूल हों
चित्त शांति व्यक्त तृप्त आत्माभिमान की।।
सूर्य के समान तेज वायु सा प्रचंड वेग।
फूल सी खिली हो फिर भी अग्नि में तपी हो जो।
झेलती चली हो रूढ़ि और सारे बंधनो को।
उठ खड़ी बेबाक उनको रौंदती बढ़ी हो वो।।
राह में हों कितने कष्ट लोग हो चले हों रुष्ट ।
हों अनन्य दुष्ट एक क्षण भी ना डिगी हो जो।
इस धरा सी धात्री हो वो नभ समान शांति हो।
जो ऐंसी मूक क्रांति हो, वो एक मूक क्रांति हो।
परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
पुरस्कार : १४ सितम्बर २०२० हिन्दी दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर मध्य प्रदेश द्वारा अखिल भारतीय कविता सृजन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त।
भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन।
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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