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दिलों की नफरत

सरिता कटियार
लखनऊ उत्तर प्रदेश

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इंसानों के दिलों की नफरत बढ़ी
वनों से ज्यादा दिलों में अग्नि बढ़ी

घट सकती बनों की जलन शायद
काले धुएँ से दिलों की धधक बढ़ी

अब कौन किसी को पहचानने
इतना ही जाने तो समझो बात बडी

इंसान ना बनों पर तरस खायें
प्राकृति के बदले की तहश बढ़ी

आपदाओं का ऐसा कहर बरपा
के कुदरत देखे खड़ी खड़ी

एक तरफ धुआं ना शांत होये
दूजे हिस्से में आन पड़ी

जंगल के जंगल बुझ ना सके
रिश्तों में ज्वालामुखी फटी

आया है समय कैसा सरिता
ये गहरी सोंच में आन पड़ी

परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश


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